शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

बसंत आगमन



लाया बसंत श्री का उभार
खोले है खड़ी पंचमी द्वार।

फल-फूल रही द्रुम डाल-डाल
दिखते पीले पिंगल औ' लाल
छिप खड़ा छोड़ता मदन-बाण
यौवन हो जाता है निहाल।
कर रही आज प्रकृति शृंगार।

सरसों फूली ले पीत रंग
कर रहा भ्रमर फूलों को तंग
आनंद किवा है पागलपन
जा रहा उछल करके कुरंग।
कर रही आज प्रकृति शृंगार।

शश छिपा झाड़ि शशि मेघ ओट
कर रहा तुरग पथरज में लोट
परिरंभ मधुर ले शीत भरा
आनंद करे यौवन की खोट।
कर रही आज प्रकृति शृंगार। 
लाया बसंत श्री का उभार
खोले है खड़ी पंचमी द्वार।

1 टिप्पणी:

India Support ने कहा…

Ration Card
आपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।