मंगलवार, 8 मार्च 2011

मैं धनिक बन गया कर विलाप

ओ कलम! आप निज बाल-प्रिया.
बचपन से तुमसे खेल किया. 
शर छील प्रथम माँ ने तुमको 
मेरे मृदु हाथों सौंप दिया. 

पहले 'अक्षर' फिर 'शब्द' खेल 
खेले मैंने, थे आप गेल*. 
तुमने बदले हैं रूप कई 
तब से अब तक सब लिया झेल. 

तुम हो कैसा मो..हनी दंड. 
दुःख में भी आँसू बने छंद. 
तुम बाँध रही मेरे विचार 
जो अभी तलक थे खंड-खंड. 

कवि कर के ओ सुन्दर कलाप* 
शत कोटि-कोटि युग जियो आप. 
तुमने मोती कर दिये अश्रु 
मैं धनिक बन गया कर विलाप. 

___________
गेल* = साथ
कलाप = अलंकार
धनिक = धनी