आया बसंत पट हटा अरी
चख चहक रहे "अब करो बरी"
तुमने इनको कब कैद किया
– है पूछ रही ऋतुराज-परी.
क्यों दी इनको आजन्म कैद
पिंजर खोलो, उल्लास भरो.
त्राटक कर इनको रूप पुरा
देना, नूतन उपचार करो.
(स्वसा नूतन श्री को सादर समर्पित)
चख चहक रहे "अब करो बरी"
तुमने इनको कब कैद किया
– है पूछ रही ऋतुराज-परी.
क्यों दी इनको आजन्म कैद
पिंजर खोलो, उल्लास भरो.
त्राटक कर इनको रूप पुरा
देना, नूतन उपचार करो.
(स्वसा नूतन श्री को सादर समर्पित)