रविवार, 21 जुलाई 2013

भव्या वृष्टि

 
उपधानों की चारदिवारी
पयदानी कोपीन कियारी
अस्त-व्यस्त शैया पर सिंचित 
नयनों की तारक फुलवारी।
 
 
अंक पर्यंक लगे समदृष्टि 
परम आत्मा की नव सृष्टि 
मन आँगन की दशक शुष्कता
मेटन को हुई भव्या वृष्टि।
 
 
वत्सलता का शिलान्यास सी 
मध्य बिंदु माँ पिता व्यास सी 
कारा जीवन  में राका बन 
तृषित ह्रदय चातकी प्यास सी।
 
 
 
पयदानी = पैदानी,
चारदिवारी = चाहरदीवारी
कियारी = क्यारी