यदि मैं आपकी
अकस्मात् बिना सन्दर्भ
सौन्दर्य की प्रशंसा करने लगूँ
तो आपके मन में
सर्वप्रथम कौन-सा भाव आयेगा
— क्या संशय तो नहीं?
क्या विरह भाव के
धारण करने के लिए
अकस्मात् बिना सन्दर्भ
सौन्दर्य की प्रशंसा करने लगूँ
तो आपके मन में
सर्वप्रथम कौन-सा भाव आयेगा
— क्या संशय तो नहीं?
स्यात मेरी सोच, मेरी भावना पर.
किवा, प्रशंसा सुनकर
लज्जा करना उचित समझोगे?
— हाँ, यदि आप
स्वयं की दृष्टि में भी
सुन्दर हो
तो अवश्य लजाओगे.
क्या आप वास्तव में सुन्दर हो?
आप अपने सौन्दर्य के विषय में क्या धारणा रखते हैं? — जानने की इच्छा है.
क्या विरह भाव के
धारण करने के लिए
'प्रिय-पात्र' का
निर्धारण या रूढ़ किया जाना
संगत है/ उचित है?
? किंकर्तव्य_