होना चाहता है अब 
इतस्ततः भटकने के बाद 
ह्रदय का 'काम' — एकनिष्ठ. 
इतराया घूमे था पहले 
साधू संन्यासी बनकर 
संयम हमारा — वरिष्ठ. 
हुआ था सिद्ध 
स्वयं की दृष्टि में भी 
कुछ समय को वह — बलिष्ठ. 
किन्तु, दोनों बाँह फैलाये 
करता है स्वागत कौन? 
नयी कल्पना का, होकर — उत्तिष्ठ.