मत करो स्वयं को शुष्क शिला
मेरे नयनों से नयन मिला.
फट पड़े धरा देखूँ जब मैं
तुम हो क्या, तुमको दूँ पिघला.
संयम मर्यादा शील बला
तेरे नयनों में घुला मिला.
फिर भी चुनौति मेरी तुमको
मैं दूँगा तेरा ह्रदय हिला.
मैं कलाकार तुम स्वयं कला
तुम तोल वस्तु मैं स्वयं तुला.
तोलूँगा तुमको पलकों पर
चाहे छाती को रहो फुला.
'मंजुल मुख' मेघों में चपला
मैं आया तेरे पास चला.
मंजुले! खुले भवनों में क्यों
तुम भटक रहीं निज भवन भुला.