बात, जो चार दृगों के बीच
नेह की करती थी सृष्टि
देह से दूर रही दृष्टि.
कौन दोनों के बीच नयी
प्रेम की करवाये संधी*.
ग़लतफहमी दोनों के बीच
फैसला करती, बन अंधी.
न्याय पावेगा सच्चा कौन
खड़े हैं दोनों ही निर्दोष.
दंड भुगतेगा इसका कौन
छिपे हैं दोनों के ही कोष.
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संधी — सही रूप 'संधि' है.