शांत जल से
शांत थे मन भाव
आये थे तुम
आये थे अनुभाव
शांत मन में
सतत दर्शन चाव
स्वर नहीं बन पाये
मन के भाव
जल गये सब
जड़ अहं के भाव
बह गया मन
मैल - प्रेम बहाव
लगाव से
विलगाव तक का 'गाव'
दृग तड़ित करता
कभी करता अश्रु-स्राव
प्रेम - मिलना
प्रेम - पिय अभाव
प्रेम में आते
दोनों पड़ाव
सतत चिंतन
प्रेम की है रस्म
दिव्य औषध
बनते अश्रु-भस्म.
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*गाव ........ गाने की क्रिया