सच कहता हूँ, सच कहता हूँ
अकसर तो मैं चुप रहता हूँ
तन मन पर पड़ती मारों को
बिला वजह सहता रहता हूँ .... सच कहता हूँ।
वर्षों से जो जमा हुआ था
जो प्रवाह हृत थमा हुआ था
आज नियंत्रित करके उसको
धार साथ में खुद बहता हूँ ... सच कहता हूँ।
इस दृष्टि में दोष नहीं था
भावुकता में होश नहीं था
खुद को दण्डित करने को अब
धूर्तराज खुद को कहता हूँ ... सच कहता हूँ।
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कंठ शीत ने बिगाड़ दिया है। अन्यथा सस्वर प्रायश्चित करता!!
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कंठ शीत ने बिगाड़ दिया है। अन्यथा सस्वर प्रायश्चित करता!!