हमारे शरीर का तापमान जब अधिक होता है तब हम जान जाते हैं कि हमें ज्वर है, वातावरण कुछ गरम हुआ नहीं कि हम कहने लगते हैं कि 'उफ़ गरमी'. जब कोई कुपित होता है तब हम जान जाते हैं कि स्वर में कितना तापमान है. इस प्रकार आपने देखा कि शरीर का, जलवायु का और स्वर के तापमान का अनुमान लगाने में हम सक्षम हैं. स्वर की अपनी भी कुछ विशेषताएँ होती हैं — मधुर, कर्कश, कम्पित, भंग, अस्फुट...
स्वर के तापमान का सही-सही अनुमान लगाया जा सके. इसके लिये हम यदि एक चिह्नित पैमाना बना लें तो सुविधा होगी.
स्वर का थर्मामीटर
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0 ........ 10 .......... 20 .......... 30 .......... 40 .......... 50 .......... 60 .......... 70 .......... 80 .......... 90 .......... 100
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000 = निःशब्द स्वर [भय की पराकाष्ठा]
...........स्वर क्रियाहीन हो जाता है.
...........परिणाम ............[सदमा]
...........स्वर क्रियाहीन हो जाता है.
...........परिणाम ............[सदमा]
010 = भयातुर स्वर
..........स्वर सिमटने लगता है.
.........परिणाम ............[घबराहट]
..........स्वर सिमटने लगता है.
.........परिणाम ............[घबराहट]
020 = शांत स्वर
........... स्वर अंगडाई लेता लगता है.
............परिणाम ............[संतोष] कई तरह के मानसिक तनावों से मुक्ति
........... स्वर अंगडाई लेता लगता है.
............परिणाम ............[संतोष] कई तरह के मानसिक तनावों से मुक्ति
030 = पिशुन स्वर
..........स्वर दबे पाँव चलता है [चुगली]
..........परिणाम ............[असंतोष] कई तरह के मानसिक तनावों से मुक्ति
..........स्वर दबे पाँव चलता है [चुगली]
..........परिणाम ............[असंतोष] कई तरह के मानसिक तनावों से मुक्ति
040 = हास्य स्वर
..........स्वर भागता हुआ लगता है.
......... परिणाम ............[संतोष] कई तरह के शारीरिक तनावों से मुक्ति
..........स्वर भागता हुआ लगता है.
......... परिणाम ............[संतोष] कई तरह के शारीरिक तनावों से मुक्ति
050 = संयत स्वर
...........स्वर संभलता हुआ-सा बढता है.
........ ...परिणाम .......... [धैर्य] मनोबल बढ़ता है.
...........स्वर संभलता हुआ-सा बढता है.
........ ...परिणाम .......... [धैर्य] मनोबल बढ़ता है.
060 = व्यंग्य स्वर
...........स्वर आड़ा-तिरछा चलता लगता है.
............परिणाम .......... आड़े-तिरछे चलते स्वर को मद्यप-कथन जान लोग उसे हलके में लेते हैं.
...........स्वर आड़ा-तिरछा चलता लगता है.
............परिणाम .......... आड़े-तिरछे चलते स्वर को मद्यप-कथन जान लोग उसे हलके में लेते हैं.
070 = निंदा स्वर
..........स्वर फैलने लगता है [आलोचना]
...........परिणाम .......... विशेष पहचान बना पाने का सुख
..........स्वर फैलने लगता है [आलोचना]
...........परिणाम .......... विशेष पहचान बना पाने का सुख
080 = तिक्त व्यंग्य स्वर
...........स्वर खिंचने लगता है [कटाक्ष]
............परिणाम ...........[जय-तृप्ति] जीतने की भूख की शांति
...........स्वर खिंचने लगता है [कटाक्ष]
............परिणाम ...........[जय-तृप्ति] जीतने की भूख की शांति
090 = अपशब्द स्वर
...........स्वर लडखडाता है[आक्रोश]
..........परिणाम ........... [अशांत मन]
...........स्वर लडखडाता है[आक्रोश]
..........परिणाम ........... [अशांत मन]
100 = अवरुद्ध स्वर [क्रोध की पराकाष्ठा]
...........स्वर रुक जाता है.
...........परिणाम ...........सदमा या मूर्च्छा
...........स्वर रुक जाता है.
...........परिणाम ...........सदमा या मूर्च्छा
इस पैमाने की अति निम्नावस्था का प्रभाव है निम्न रक्तचाप LBP [Low Blood Pressure]
और अति उच्चावस्था का प्रभाव है उच्च रक्तचाप HBP [High Blood Pressure]
और अति उच्चावस्था का प्रभाव है उच्च रक्तचाप HBP [High Blood Pressure]