मात्रिक छंदों के अंतर्गत जिन्हें 'अशुभ' गण जानकर नवल आभ्यासिक कवि/कवयित्री बचते हैं उन गणों की अशुभता वार्णिक छंदों के समीप आते ही विलुप्त हो जाती है.
वार्णिक छंदों की 26 जातियाँ हैं और उनके प्रसार-भेद की संख्या ६७१०८८६४ [छह करोड़ इकहत्तर लाख आठ हहार आठ सौ चौंसठ] है.
फिलहाल, अशुभ गणों के प्रति नकारात्मकता समाप्त करने के लिये मुझे छंद की विधिवत चर्चा के बीच इस उप-अध्याय को कहना पड़ रहा है.
त ज र स वाले घरों की कथित अशुभता का उज्ज्वल पक्ष दिखाने के लिये ये अध्याय आपके सामने लाया हूँ.
'त' गण से आरम्भ होने वाले कुछ छंद :
1] इंद्रवज्रा
2] इंद्रवंशा
3] वसंततिलका
'ज' गण से आरम्भ होने वाले कुछ छंद :
1] उपेन्द्रवज्रा
2] प्रमाणिका
3] पञ्चचामर
'र' गण से आरम्भ होने वाले कुछ छंद :
1] स्रग्विणी
2] स्वागता
3] रथोद्धता
4] चामर
5] चंचला
6] चंचरी
'स' गण से आरम्भ होने वाले कुछ छंद :
1] तोटक
2] सुन्दरी (सवैया)
3] कुन्दलता (सवैया)
सुंदरी (सवैया) छंद :
यह २५ वर्णों का आकृति जाति के अंतर्गत आने वाला छंद है.
"सगणा जब आठ मिलें गुरु से तब सुन्दरि छंद बने अति नीका."
जिस छंद के प्रत्येक चरण में आठ स-गण एवं एक गुरु के क्रमानुसार २५ वर्ण हों, उसे 'सुन्दरी' (सवैया) छंद कहते हैं.
उदाहरण :
सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा गा.
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
हरकीरत हीर करैं बिनती अब फ़ौरन शंस्वर मालि बुलाओ.
कर ट्यूशन धाक जमा हम लें, सब छंद रचें, वह पाठ पढ़ाओ.
अविनाश*-कली खिल जाय, भली कविता कर लें, वह बीन बजाओ.
हर ऊसर में उग जाय शमी*, मन का जलवायु उपाय बताओ.
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
*अविनाश — कविराज अविनाश चन्द्र से तात्पर्य
*शमी — ऐसा वृक्ष जो अकाल में भी हरा-भरा रहता है. बंजर में भी सहजता से उग सकता है.
चंचला छंद :
"चंचला सदा सुहात राज राज रा ल से."
जिस छंद का प्रत्येक चरण, क्रमशः रगण, जगण, रगण, जगण, रगण और लघु युक्त १६ वर्णों पर आधारित हो, वह 'चंचला' छंद कहलाता है.
उदाहरण :
राजभा जभान राजभा जभान राजभा ल
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ ^^^
हंसराज सुज्ञ डाकिया बने जहान घूम.
ढूँढ लात लोग सात दृष्टि की महान ज़ूम.
खान पान शुद्ध, आन बान शान देख झूम.
एक-एक बाँटते सभी अपार्टमेन्ट रूम.
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
'चंचला' छंद का एक अन्य उदाहरण :
पक्षिराज यक्षराज प्रेतराज यातुधान.
देवता अदेवता नृदेवता जिते जहान.
पर्वतारि अर्व खर्व सर्वथा बखानि.
कोटि कोटि सूरचंद्र रामचंद्र दास जानि. [यह किस कवि की रचना है, जानकारी नहीं]
एक प्रश्न :
'चंद्र' शब्द में कौन-कौन से वर्ण आधे हैं और कौन-कौन से पूरे हैं ?
संकेत : इस शब्द में चार वर्ण हैं : च, न, द, र
शेष चर्चा आगामी पाठ में ....