सुना मैंने, पल्लव का पुंज
बनाया था जो मेरे लिये.
उसे तुमने ही अपने पास
रख लिया गलने के ही लिये.
दीप वाले काले तम में
छिप गये तुम पल्लव के पुंज
हमारी यादों को तुम त्याग
चल दिए मिलने को पिक-कुञ्ज.
वही केवल पल्लव का पुंज
हमारे लिये बचा अवशेष.
आप तो रहते हो स्वच्छंद
हमारे लिये बना परिवेश.