कोमल हृत भी हो गया कड़ा
जिसमें निवास कर विनय मरा
सौभाग्य किवा दुर्भाग्य बड़ा.
जो नयन नील नभ में घूमे
वे आज़ देखते शुष्क धरा
हो जा यौवन अब जरा युक्त
नयनों को खलता रंग हरा.
यदि कर सृजन से करें दगा
तो होगा कवि का कौन सगा.
नूपुर को तेरे जंग लगे
यदि पग नर्तन से करें दगा.