जो नहीं कभी सोचा मैंने
वो भी तुमने कर दिखलाया
समझा कीचड़ में कमल खिला
भ्रम था मेरा तम था छाया.
सरिता तुमको समझा मैंने
पावन जल की पाया नाला.
सविता प्राची की समझ तुम्हें
कपटी मन की पाया बाला.
कवि ने तुमको कविता समझा
समझा तुमको जीवन दाता.
पर यहीं भयानक भूल हुई
निकली तुम निज काली माता.
वो भी तुमने कर दिखलाया
समझा कीचड़ में कमल खिला
भ्रम था मेरा तम था छाया.
सरिता तुमको समझा मैंने
पावन जल की पाया नाला.
सविता प्राची की समझ तुम्हें
कपटी मन की पाया बाला.
कवि ने तुमको कविता समझा
समझा तुमको जीवन दाता.
पर यहीं भयानक भूल हुई
निकली तुम निज काली माता.