रविवार, 26 जून 2011

दर्शन-प्राशन परीक्षा

मित्रो, ब्लॉगजगत में ऐसे कई नाम हैं जिनसे ब्लॉग-साहित्य की अपनी एक पहचान बन गयी है. उनमें ही कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने 'पाठशाला' को चलाने की लगातार प्रेरणा दी. प्रोत्साहन पाकर कुछ समय बाद ही मैं इस शिक्षण के नाट्य को करने में रस लेने लगा. मन में आया कि एक परीक्षा भी ले ही लूँ, फिर अवसर मिले न मिले. आज की परीक्षा छोटी-सी है. मन में तो तमाम प्रश्न थे किन्तु, कहीं परीक्षा देखकर कोई पास तक न आये इसका भय भी बना रहा. इसलिए अच्छी प्रतिक्रिया मिलने पर ही आगामी प्रश्न-पत्रों का सुख-वितरण करूँगा. अपने सुभीते से जितना चाहे समय लीजिये. इस बहाने आपका फिर से पिछली पोस्टों पर टहलना भी हो जाएगा.
प्रश्न 1 : किसी भी दो काव्यांशों के कवि को पहचान कर उनके रचना के भावार्थ को स्पष्ट करें. [5×2=10]
(क़)
हकीकत का तो बिच्छू भी छुआ जाता नहीं तुमसे.
ख़यालों के बड़े सौ साँप, दस अजगर तो मत मारो .
(ख़)
रात गला काटती है
कई ज़ज्बात मरते हैं
इक ज़हरीली सी कड़वाहट
उतर जाती है हलक में
(ग)
भृकुटियों पर उग आए,
उस संतोष के आगे,
थर्रा जाता है.
एक क्षण को,
दबंग जेठ भी. 
(घ)
क्यों कि
जो कहती हूँ
वो करती नहीं
जो सोचती हूँ
वो होता नहीं
जो होता है
वो चाहती नहीं .
इसी ऊहापोह में
जीती चली जाती हूँ
क्षण - प्रतिक्षण
परिस्थितियों में
ढलती चली जाती हूँ.

प्रश्न 2:  ब्लॉग जगत में कौन सबसे आगे ? कोई पाँच बताइये. ...........[5]
१. जटिल शब्दावली में ...........२. विषय विविधता में ............
३. गीतिमयता में ............
४. हाजिर जवाबी में ...........
५. अत्यधिक भाव प्रवणता में .........

६. मुग्ध लेखन में ..........

प्रश्न 3 : स्वर का तापमान पहचानिए :   ........... [5]
छूट गया मिलना-जुलना सब
पुनः मिलेंगे शायद न अब
जितना तुमसे दूर चलूँ
आ जाता लौट वहीँ
कहो कुछ बेशक आप नहीं .
http://darshanprashan-pratul.blogspot.com/2010/11/blog-post_21.html

प्रश्न 4 : सभी प्रश्नों के उत्तर दें :     ................ [5×2=10]
१. पाठशाला के संचालक का काव्यशास्त्र के किस आचार्य से मतभेद हुआ था?
२. किस कविता में अनुप्रास के छठे भेद को देखा गया है?
३. 'दर्शन प्राशन' की कौन-सी कविता चित्र अलंकार का अच्छा उदाहरण है?
४. एकमात्र कविता से अपने ब्लॉग की कायापलट कर देने वाले कवि-हृदय लेखक का क्या नाम है?
५. रंग और स्वर का संगम किस ब्लॉग की पहचान है?


प्रश्न 5 : रचनाओं को पहचानिए किस कवि की हैं? .................. [10×2=20]
१) तुम हो जैसे अथाह जलराशि,
और मैं हूँ
एक बिना पतवार की नौका।
पूरी तरह से,
तेरी मौजों के सहारे।
२) सुनो अब्बा!
मिले किसी मस्जिद,
तुम्हारा अमुक खुदा.
तो कहना फ़क्र से,
तुम बेहतर खुदा हो.
३) है बिना निमंत्रण के आना.
आना फिर आते ही जाना.
ओ स्वेद! बने तुम हठधर्मी 
आमंत्रण पर अच्छा आना. 
४) बुजुर्गियत को अक्ल का पैमाना समझते हैं वो
उम्र मेरी अनायास ही गुनहगार हो गयी।
५) अनुकूल हवा में जग चलता, प्रतिकूल चलो तो हम जानें।
कलियाँ खिलती है सावन में, पतझड़ में खिलो तो हम जानें॥
६) अधिकार के सारे शब्द तुम्हारे हाथों में
और मेरे हाथों में सारे कर्तव्य?
७) मंदिरों में बंद ताला, हर हृदय है कुटिल-काला 
चाटते दीमक-घुटाला, झूठ का ही बोलबाला
जापते हैं पवित्र माला, बस पराया माल आये--
व्यर्थ हमने सिर कटाए,  बहुत ही अफ़सोस, हाय !
८) खालिक हो तुम कायनात के मालिक तुम हो 
क्या है रीता तुमसे जो बता इन खाफकानो को 
९) तेरी भक्ति की ज़रा स्याही पिला मेरी कलम को...
ऋण चुकाने की धरा का शक्ति दे मेरी कलम को...
जब लिखूं मैं सत्य मेरी लेखनी न लड़खड़ाए...
तू अभय का ग्रास कोई अब खिला मेरी कलम को
१०) अटूट रिश्ता है चोटों से
जख्मों को सहलाना क्या
गहरे घाव ह्रदय में लेकर
खिल खिल कर हँस पाना क्या
मैं क्या जानू जख्मीं होकर घाव भरे भी जाते हैं
छेड़ छाड़ मीठी झिड़की, आलिंगन का सुख होता क्या.

40 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

मास्टर जी पेपर कठिन बना दिया है, ज्यादातर बच्चे(ब्लागर) फ़ैल हो जाने का डर है जी

Rahul Singh ने कहा…

ब्‍लॉग जगत पर विहंगम किंतु सूक्ष्‍म दृष्टि. इस क्रम में अगली पोस्‍ट का इंतजार रहेगा.

रविकर ने कहा…

अभी तो स्वाध्याय कर रहा है रविकर |

परीक्षाओं से बड़ा प्रेम है पर ठहर कर आता हूँ |
पहले पढ़ने का काम पूरा कर लू,
तैयारी के साथ आऊंगा|
मत बोलिए की बहानेबाजी है|

कुमार राधारमण ने कहा…

कुछ प्रश्नों के उत्तर जानता हूं;कुछ के प्रति जिज्ञासा है। बहुत दिलचस्प पोस्ट। प्रतिभागिता शीघ्र।

HindiEra.in ने कहा…

मास्टर जी पेपर कठिन बना दिया है, - पहले पढ़ने का काम पूरा कर लू -

सुनो अब्बा!मिले किसी मस्जिद,
तुम्हारा अमुक खुदा.
तो कहना फ़क्र से,
तुम बेहतर खुदा हो.

Amit Sharma ने कहा…

गुरु जी प्रश्न-पत्र थोडा जटिल है इसलिए धीरे-धीरे हल कर पाउँगा............... पांचवे प्रश्न के उत्तर नीचे दे रहा हूँ जिनमे ब्लॉग और रचनाकार का नाम है........... आशा है उत्तर सही होंगे.

ब्लॉग लेखक
1. मो सम कौन कुटिल खल ? संजय अनेजा जी


2. मेरी कलम से अविनाश चन्द्र जी

3. अविनाश जी के ब्लॉग पर गुरुदेव प्रतुल जी

4. ZEAL दिव्या श्रीवास्तवजी
5. सुज्ञ हंसराज सुग्यजी

6. हरकीरत ' हीर' हरकीरत जी
7. 13 - 17तेरह-सतरह = तेरा-साथ-रहे. दिनेश चन्द्र गुप्ता जी

8. अमित शर्मा अमित शर्मा

9. दिल की कलम से.. दिलीप जी
10. मेरे गीत ! सतीश सक्सेना जी

सञ्जय झा ने कहा…

suprabhat guruji,

net-gear se comment block tha......
ab khula hai......upasthiti darz kar raha hoon........

manoranjak path.....padh raha hoon...

pranam.

रविकर ने कहा…

4. ZEAL दिव्या श्रीवास्तवजी
5. सुज्ञ हंसराज सुग्यजी

6. हरकीरत ' हीर' हरकीरत जी
7. 13 - 17तेरह-सतरह = तेरा-साथ-रहे. दिनेश चन्द्र गुप्ता जी

*** बहुत दिलचस्प ||

Satish Saxena ने कहा…

आपकी क्लास में आकर फंस जाता हूँ गुरुदेव !
न भागते बनता है और न बैठते ....क्या करें ??
शुभकामनायें स्वीकार करें !

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

पहला दिन है... तो आज सिर्फ उपस्थिति दर्ज करा रहा हूँ।

Rohit Singh ने कहा…

भा पेपर देना अपने बस का काम नहीं है....हम तो क्षमाप्रार्थी हैं.....

सुज्ञ ने कहा…

क्या है कि पेपर कुछ हार्ड है। और इतना अध्यन भी नहीं हो पाया।

मुझे भी वही लिखना था, जो अमित जी नें लिख दिया। क्या है कि स्याही खत्म हो चुकि थी। उसे हमारा भी उत्तर मानें।

रविकर ने कहा…

prashn-2 i) kushvansh
2) shastri ji
3)veena
4) pata nahin
5)nirantar
6)man paye visram jahan

रविकर ने कहा…

prasn 5 ka uttar to out ho chuka .
pass hone ke liye achchha tha .

aaj to vo khul nahi raha jisse pata chalta ki aap koun se blog follow karte hain

mera result 1/20

Unknown ने कहा…

गुरूजी बकौल सतीश जी आपकी क्लास फसा देती है उत्तर देते नहीं बनता अब जन गन मन तो है नहीं जो कंठस्त करो , फिर भी वाह आपकी कक्षा का विद्यार्थी होना सौभाग्य की बात

Rahul Singh ने कहा…

परिणामों की प्रतीक्षा है.

Amit Sharma ने कहा…

उ. १--
क .. रचनाकार श्री राजेंद्र स्वर्णकार जी.
वैसे तो यह रचना सागर कि भाँती असंख्य भाव-रत्नों से भरी हुयी है हर बार पढने पर एक नयी सोच मिलती है, पर शायद इसका स्थायी भाव किसी के विश्वास को खंडित करने से बचने की लीक पर आकर ठहरता है.

ख... रचनाकार हरकीरत हीर जी
रचनाकार ने इस्लामिक कायदों में स्त्री की दशा को चित्रित करने का प्रयास करने की कोशिश की है की कैसे इस्लाम में स्त्री को दोयम दर्जा देकर उसे कुंठित जीवन जीने को अभिशापित किया गया है. परन्तु इक पाठक के रूप में मेरा यह मानना है की शायद इस्लाम की मूल शिक्षाओं में ऐसा नहीं है जैसा आज अधिकाँश देखने में आता है. अगर एक बिंदु विशेष को इंगित करने वाले शब्दों को इस रचना में से हटा दें तो यह रचना समग्र रूप से समस्त स्त्री जाती के प्रति होने वाले दुराव की अभिव्यक्ति लगेगी.

ग... रचनाकार अविनाश चन्द्र जी
रचनाकार के भाव गुरुदेव प्रतुल जी के ही शब्दों में -----"पसीने की ममतामयी बूँद में शिव-गंगा [मंदाकिनी]; दर्द से उमठी भृकुटियों में संतोष के दर्शन; आँसू में स्वाति नक्षत्र का वर्षण-सन्देश; और जननी-पुत्रों का पारस्परिक सहयोग.
आदि से अंत तक उस परम शक्ति के दर्शन करना "

घ... रचनाकार संगीता स्वरुप जी
रचनाकार ने ईमानदारी को लेकर अपने मन के द्वन्द को कविता के माध्यम से व्यक्त करने का प्रयास किया है जो की स्वयं अपने आप में रचनाकार के मन की ईमानदारी का परिचायक है .

उ. २-- उत्तर नहीं आतें है :)


उ.३-- 030 = पिशुन स्वर
..........स्वर दबे पाँव चलता है [चुगली]
..........परिणाम ............[असंतोष] कई तरह के मानसिक तनावों से मुक्ति

उ.४--
1 -- आचार्य परशुराम शास्त्री जी से दर्शन-प्राशन के संचालक का मतभेद हुआ था
2 -- उत्तर नहीं आतें है :)
3 -- उत्तर नहीं आतें है :)
4 -- संजय अनेजा जी
5 -- रंग और स्वर का संगम "शस्वरम" ब्लॉग की पहचान है.

उ. ५--
1. मो सम कौन कुटिल खल ? संजय अनेजा जी
2. मेरी कलम से अविनाश चन्द्र जी
3. अविनाश जी के ब्लॉग पर गुरुदेव प्रतुल जी
4. ZEAL दिव्या श्रीवास्तवजी
5. सुज्ञ हंसराज सुग्यजी
6. हरकीरत ' हीर' हरकीरत जी
7. 13 - 17तेरह-सतरह = तेरा-साथ-रहे. दिनेश चन्द्र गुप्ता जी
8. अमित शर्मा अमित शर्मा
9. दिल की कलम से.. दिलीप जी
10. मेरे गीत ! सतीश सक्सेना जी

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@ प्रिय संदीप जी,

यदि प्रश्न-पत्र छात्र हल ही न कर पाये तब तो छात्र की बजाय मास्टरजी को फेल होना चाहिए.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

आदरणीय राहुल जी,

आपके साथ मुझे भी प्रतीक्षा रहेगी कि कब मैं फिर से अपने चयनित/संग्रहित लेखों में से एक नया प्रश्न-पत्र बनाता हूँ.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@ रविकर जी,

आप मात्र उपस्थित भी हो जाएँ तो अच्छा लगता है. 'बहानेबाजी' तो खैर .... आपने दुबारा आकर समाप्त कर ही दी है.

आजकल आप जिस रफ़्तार से कविताई कर रहे हैं लगता है कि कुछ सालों में ही 'हर गुप्त भाव' 'हर गुप्त विचार' काव्यबद्ध हो जायेगा. :)

आप सहजात कवि हैं... मुझे आपसे प्रेरणा मिलती है.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@ आदरणीय कुमार राधारमण जी,

आपकी समस्त ऊर्जा ........ चिकित्सा विषयक लेखों में व्यय हो रही है. फिर भी आपकी ऊर्जा से जब कभी हम टिप्पणी का प्रसाद पाते हैं तब लगता है कि कुछ विशेष मिल गया.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

प्रिय पंकज जी,

सारे काज छोड़कर आपने 'प्रश्न-पत्र' पूरा पढ़ा ... ये भी कम बड़ी बात नहीं.

आपको कविवर अविनाश चंद्र जी की कविता बेहद पसंद आयी .... इसके लिये आभार.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

प्रिय सञ्जय जी,

आप तो नियमित छात्र हैं... परीक्षा में भी 'सुप्रभात' और 'प्रणाम' करके ही उत्तीर्ण होना चाहते हैं?

आपकी उपस्थति से 'परीक्षा-भवन' सुशोभित हुआ :)

आते रहा करें .... प्रश्नों का खेत जुत जायेगा.... आपका प्रसन्नमुख आना सर्वश्रेष्ठ 'हल' है.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

गुरु जी ,
ऐसी कठिन परीक्षा ... विद्यार्थी भागते नज़र आयेंगे :)

रौंद सकूँ कोई पत्ता
ऐसे तो पाँव नहीं हैं
उड़ता रहता निर्लिप्त
मेरी कोई ठांव नहीं है :)

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

आदरणीय सतीश जी,

आप इसलिये फँस जाते हैं कि आप यहाँ आकर स्वयं को छात्र समझने लगते हैं, जबकि आप निरीक्षक हैं. और निरीक्षण का कार्य खड़े-खड़े ही होता है. बैठने का कार्य तो परीक्षार्थियों का है. आपकी शुभकामनाओं से मनोबल ऊँचा हो जाता है.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@ हे महाशक्ति!

क्या मैं आपके आगमन को पाठशाला में प्रवेश लेने का संकेत जानूँ? आपकी उपस्थिति से मन हर्षित हुआ.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@ प्रिय रोहित जी,

आपने जीवन की कठिन परीक्षा दी है... जानता हूँ.

ऎसी परीक्षाएँ तो हमारे भीतर बैठे कम अनुभवी छात्र से ली जाती हैं.

आप आये फिर से अधरों पर स्मिति आ बैठी.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@ प्रिय सुज्ञ जी,

मैंने मान लिया जो अमित जी के उत्तर हैं वही आपके भी हैं.

अब तो अमित जी को मिलने वाला पुरस्कार भी आपको भी देना होगा.... मेरा अभी बैंक-बेलेंस सूखा नहीं है.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@
१. जटिल शब्दावली में ......... कुश्वंश जी.

२. विषय विविधता में ......... शास्त्री जी.
३. गीतिमयता में ............ वीणा जी.
४. हाजिर जवाबी में ........... पता नहीं.
५. अत्यधिक भाव प्रवणता में ..... निरंतर.
६. मुग्ध लेखन में .... मन पाये विश्राम जहाँ.

@ रविकर जी, आपने दूसरे प्रश्न का उत्तर अपनी समझ से बिलकुल सही दिया. इस पश्न का उत्तर कोई निर्धारित नहीं है. इस प्रश्न के एकाधिक उत्तर हो सकते हैं. प्रश्न करने का औचित्य केवल इतना ही था कि पाठक लेखन के इस पक्ष पर भी दृष्टि दिया करें.

Amit Sharma ने कहा…

सभी विद्यार्थी मित्रों आप सभी को एक सरल उपाय बतलाऊं क्या प्रश्न-पत्र को सरलता से हल करने का ????
नहीं नहीं ऐसे नहीं पहले गुरूजी आज्ञा प्रदान करेंगे तभी बता पाउँगा .................... गुरूजी क्या इस रहस्य को उदघाठित करने की आज्ञा है ?

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@ आदरणीय कुश्वंश जी,

मुझे एक विद्यार्थी ने बताया है कि प्रश्न हल करने की तकनीक कान में आकर बतायी है... वह यह कि जब भी किसी प्रश्न के उत्तर की खोज करनी हो तो 'गूगल गुरुदेव' से प्रश्न से सम्बंधित दो-तीन शब्द या रचना का कोई वाक्य कहो तो वे उत्तर तक पहुँचा देते हैं. ........... किसी से कहिएगा मत. केवल आपको बता रहा हूँ... परीक्षा में अधिक अंक लाने का रहस्य.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

हाँ.. हाँ जरूर अमित जी आप भी बताइये... इस रहस्य को ..

Amit Sharma ने कहा…

एल्यो गुरूजी ने खुद ही बता दिया :))

Amit Sharma ने कहा…

गुरूजी मेरा परीक्षा-फल क्या रहा है ???

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

@ आदरणीय संगीता जी,

आपको पाठशाला में लाने का कोई तरीका नहीं सूझ रहा था. इसलिये आपके चरण-स्पर्श करने को एक पत्ता स्वतः उत्सुक हो गया था. अन्यथा नहीं लीजिएगा.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

परीक्षा परिणाम :

अमित शर्मा .......... 41/50

हंसराज सुज्ञ .......... 20/50

रविकर जी ........... 33/50

सञ्जय जी .......... 00/50 :)

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

पाठशाला के शिक्षक का वर्तमान वेतन जितना भी है उसका १० प्रतिशत 'अमित शर्मा' जी को पुरस्कार रूप में दिया जायेगा.

यह पुरस्कार एक बड़े सामारोह में दिया जायेगा.

सामारोह शीघ्र आयोजित किया जायेगा. सूचना सभी के पास पहुँचा दी जायेगी.

अमित शर्मा जी को सर्वाधिक अंक अर्जित करने के लिये...बधाई.

सञ्जय झा ने कहा…

suprabhat guruji,

balak ko 2 laddoo dene ke liye....
tahe-dil se sukriya......

pranam.

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

मास्टर जी,
सफ़र\सफ़रों(sufferings भी कह सकते हैं:) के चलते अनियमित था, लेकिन फ़िर भी प्रश्नपत्र में स्थान देकर मान बढ़ाया, धन्यवाद।
चुपके से बता तो देना था, आज अचानक आकर देखा तो छाती दो चार इंच फ़ूल गई है:)

वैसे पांचवे प्रश्न में अपन भी सही जवब दे ही देते - अविनाश वाली कविता का:)

अभी कुछ समय और अनियमित रहना होगा, फ़िर तो स्पेशल ट्यूशन ही रखेंगे।

ZEAL ने कहा…

.

@-४) बुजुर्गियत को अक्ल का पैमाना समझते हैं वो
उम्र मेरी अनायास ही गुनहगार हो गयी।

-----------

यदि मैं परीक्षा में उपस्थित होती तो केवल अपनी लिखी हुयी पंक्तियाँ ही पहचान पाती . लेकिन तारीफ़ तो अमित जी की है , जिन्होंने ब्लौगजगत के अनेक कवियों को पहचाना.

मैं अपने गुरुभाई " श्री अमित शर्मा जी " को "Extraordinary brilliant and outstanding student " की उपाधि से नवाजती हूँ.

परीक्षा में अनुपस्थित होने का खेद है.

.