शिष्ट शब्दों से दिखा दी
आपने मुझको ज़मी*.
संतुलन अद्भुत झलकता
बात में रहती नमी.
इस नमी* से ही पराजित
पुरुष क्या सब देव हैं.
पुरुष की हठधर्मिता भी
सूखती स्वमेव है.
आपके गृह-त्याग ने मन पर
अनचाहा अपराध हुआ.
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ज़मी = जमीन, शर्मिन्दा करने से अर्थ
बुद्धी = सही शब्द 'बुद्धि'
बैल-बुद्धि = मूर्ख
जुआ = बोझ, हल का अग्रिम सिरा
नमी = विनम्रता, गीलापन (संवेदनशीलता)
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आदरणीय रचना जी के लिये मेरे मन के भाव...
मन पर एक बोझ-सा आकर सवार हो गया है... इससे किस तरह मुक्त हो पाउँगा... सोचे जा रहा हूँ. जब किसी के घर छोड़ने का कारण बन जाऊँ तो अपराध बोध होता है.
आपने मुझको ज़मी*.
संतुलन अद्भुत झलकता
बात में रहती नमी.
इस नमी* से ही पराजित
पुरुष क्या सब देव हैं.
पुरुष की हठधर्मिता भी
सूखती स्वमेव है.
आपके गृह-त्याग ने मन पर
रखा हमारे 'जुआ'.
बैल-बुद्धी* हूँ तभी तोअनचाहा अपराध हुआ.
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ज़मी = जमीन, शर्मिन्दा करने से अर्थ
बुद्धी = सही शब्द 'बुद्धि'
बैल-बुद्धि = मूर्ख
जुआ = बोझ, हल का अग्रिम सिरा
नमी = विनम्रता, गीलापन (संवेदनशीलता)
_________________________________
आदरणीय रचना जी के लिये मेरे मन के भाव...
मन पर एक बोझ-सा आकर सवार हो गया है... इससे किस तरह मुक्त हो पाउँगा... सोचे जा रहा हूँ. जब किसी के घर छोड़ने का कारण बन जाऊँ तो अपराध बोध होता है.
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