उपयोगी थी भूमि
लगाने — ईंटों का भट्टा।
भीड़ लगी रहती थी
लेने — चट्टे पे चट्टा।
इंतज़ार में जाने किसके
रहता मन खट्टा।
तिल-तिल चाट रहा दिन-घण्टे
काला* तिलचट्टा।
समय बड़ा बलवान
दरकती — भावशून्य सत्ता।
उसी भूमि से बाहर आया
पत्ते पे पत्ता।
विषतरु मूल जड़ों में ठेले
अमूल दूध मट्ठा।
दशकों बाद मिला देश को
गुजराती पट्ठा।
*काला = समय का (समय रूपी)
2 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया :)
पूरे देश स्वयं चुन लिया ये गुजरती पठ्ठा ....
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