बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

चित्र-मुग्ध अध्याय



"अम्मा पास बैठना है"

"अम्मा पास बैठना है" - बेटी की ये कामना है। घेरा बच्चों का बना है। घुसना उसमें कब मना है!
अम्मा ने किस्सा बुना है। सारे बच्चों ने सुना है। बेटी ने वो ही चुना है, जो रह जाता अनसुना है!


'सचमुच' का आभार


किस्सों का संसार - बैठे-बैठे संचार। हो किस्सा मज़ेदार – सुनने को सब तैयार॥

तन्मयता व्यापार - में चलता नहीं उधार। बेटी मचली तो मैंने गोदी से दिया उतार॥
''जाना है'' कहकर जाती जाने कितने ही बार। 'झूठमूठ' को होता 'सचमुच' का आभार॥