मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

हो 'पेय' आप मैं हूँ 'पायी'


मैं रहूँ मौन
तो कहे कौन 
'मन की बातें कुछ सकुचायी'. 

तुम सुन्दर हो 
दर्पण देखो 
'लज्जा अंतर की मुस्कायी'. 

करना विचार
है यही सार. 
हो 'पेय' आप मैं हूँ 'पायी'.