यौवन शैशव का मिलन हुआ 
ये मिलन द्वंद्व के लिए हुआ 
यौवन घुसने को था तत्पर 
तन  में, शैशव से खेल जुआ. 
शैशव तो शैशव था बच्चा
वो द्यूत क्रीड़ में था कच्चा 
यौवन से सब कुछ हार रहा 
ये खेल कहीं होता सच्चा?
यौवन ने शैशव के चंचल 
भावों को पग से चुरा लिया 
चुपचाप ह्रदय में धर उसको 
शैशव को उसने हरा दिया. 
शैशव निज छोड़ हुई तत्पर 
यौवन अपनाने को बाला. 
आकर्षक तो होता ही है 
कुछ नया-नया आने वाला. 
मेरा अधिकार हुआ तुम पर 
यौवन कहता "ओ, सुन बाला!" 
उत्कोच दे रहा है गुपचुप 
बढ़ने वाला द्वय कुच माला. 
हो रही अचंभित देख-देख 
परिवर्तन को भोली बाला. 
निश्चिन्त घूमने वाली अब 
दर्पण लेकर बैठी शाला. 
एकांत देख फैंका उतार 
अपने तन से व्रीडा विचार.
मन ही मन में हँसती निहार 
कुच लेते जाते जो उभार. 
शब्दार्थ : 
भेल — मिश्रण, मिलाप, भेंट, मिलना, कहीं-कहीं 'चंचल' और 'मूर्ख' अर्थ भी लिया जाता है. 
उत्कोच — घूस, रिश्वत; 
व्रीडा — लज्जा, हया; 
द्यूत क्रीड़ — जुए का खेल.