रविवार, 26 जुलाई 2015

आनंद गंध

अहा! हो गई अब हृदय में 
दुःख चिंता शंका निर्मूल 
हृत-वितान में घूमा करती 
दिव करने वाली सित धूल 

नहीं शकुन-अपशकुन जानती 
अड़चन हो चाहे दिक् शूल। 
जब आनंद गंध फ़ैली हो 
बन्द नहीं हो सकते फूल । [पुनः लेखन]