गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

अशुभ गणों की शुभ्रता

मात्रिक छंदों के अंतर्गत जिन्हें 'अशुभ' गण जानकर नवल आभ्यासिक कवि/कवयित्री बचते हैं उन गणों की अशुभता वार्णिक छंदों के समीप आते ही विलुप्त हो जाती है. 
वार्णिक छंदों की 26 जातियाँ हैं और उनके प्रसार-भेद की संख्या ६७१०८८६४ [छह करोड़ इकहत्तर लाख आठ हहार आठ सौ चौंसठ] है. 
फिलहाल, अशुभ गणों के प्रति नकारात्मकता समाप्त करने के लिये मुझे छंद की विधिवत चर्चा के बीच इस उप-अध्याय को कहना पड़ रहा है. 
त ज र स वाले घरों की कथित अशुभता का उज्ज्वल पक्ष दिखाने के लिये ये अध्याय आपके सामने लाया हूँ. 

'त' गण से आरम्भ होने वाले कुछ छंद : 
1] इंद्रवज्रा
2] इंद्रवंशा
3] वसंततिलका

'ज' गण से आरम्भ होने वाले कुछ छंद :
1] उपेन्द्रवज्रा
2] प्रमाणिका
3] पञ्चचामर


'र' गण से आरम्भ होने वाले कुछ छंद :
1] स्रग्विणी
2] स्वागता
3] रथोद्धता
4] चामर
5] चंचला
6] चंचरी 

'स' गण से आरम्भ होने वाले कुछ छंद :
1] तोटक 
2] सुन्दरी (सवैया) 
3] कुन्दलता (सवैया) 

सुंदरी (सवैया) छंद : 
यह २५ वर्णों का आकृति जाति के अंतर्गत आने वाला छंद है. 
"सगणा जब आठ मिलें गुरु से तब सुन्दरि छंद बने अति नीका." 
जिस छंद के प्रत्येक चरण में आठ स-गण एवं एक गुरु के क्रमानुसार २५ वर्ण हों, उसे 'सुन्दरी' (सवैया) छंद कहते हैं. 
उदाहरण : 
सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा गा.
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हरकीरत हीर करैं बिनती अब फ़ौरन शंस्वर मालि बुलाओ. 
कर ट्यूशन धाक जमा हम लें, सब छंद रचें, वह पाठ पढ़ाओ. 
अविनाश*-कली खिल जाय, भली कविता कर लें, वह बीन बजाओ. 
हर ऊसर में उग जाय शमी*, मन का जलवायु उपाय बताओ. 
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*अविनाश — कविराज अविनाश चन्द्र से तात्पर्य 
*शमी — ऐसा वृक्ष जो अकाल में भी हरा-भरा रहता है. बंजर में भी सहजता से उग सकता है. 

चंचला छंद : 
"चंचला सदा सुहात राज राज रा ल से."
जिस छंद का प्रत्येक चरण, क्रमशः रगण, जगण, रगण, जगण, रगण और लघु युक्त १६ वर्णों पर आधारित हो, वह 'चंचला' छंद कहलाता है. 
उदाहरण : 
राजभा जभान राजभा जभान राजभा ल 
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हंसराज सुज्ञ डाकिया बने जहान घूम. 
ढूँढ लात लोग सात दृष्टि की महान ज़ूम.
खान पान शुद्ध, आन बान शान देख झूम.
एक-एक बाँटते सभी अपार्टमेन्ट रूम. 
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'चंचला' छंद का एक अन्य उदाहरण : 
पक्षिराज यक्षराज प्रेतराज यातुधान. 
देवता अदेवता नृदेवता जिते जहान. 
पर्वतारि अर्व खर्व सर्वथा बखानि. 
कोटि कोटि सूरचंद्र रामचंद्र दास जानि. [यह किस कवि की रचना है, जानकारी नहीं]

एक प्रश्न : 
'चंद्र' शब्द में कौन-कौन से वर्ण आधे हैं और कौन-कौन से पूरे हैं ? 
संकेत : इस शब्द में चार वर्ण हैं : च, न, द, र


शेष चर्चा आगामी पाठ में ....