शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

अय पौन! कौन हो? सच कहना

ये कौन केश में हाथों की
उँगली सब डाले सहलाता?
ये कौन देह को छूकर के
चोरी-चोरी है भग जाता?

ये कौन गाल पर अधरों का
मीठा चुम्बन है दे जाता?
ये कौन ह्रदय से क्लेशों को
छीने मुझसे है ले जाता?

ये कौन मौन होकर अपनी
सुन्दर बातों को कह जाता?
अय पौन! कौन हो? सच कहना.
क्या हो मेरी प्यारी बहना?