उपधानों की चारदिवारी
पयदानी कोपीन कियारी
अस्त-व्यस्त शैया पर सिंचित
नयनों की तारक फुलवारी।
अंक पर्यंक लगे समदृष्टि
परम आत्मा की नव सृष्टि
मन आँगन की दशक शुष्कता
मेटन को हुई भव्या वृष्टि।
वत्सलता का शिलान्यास सी
मध्य बिंदु माँ पिता व्यास सी
कारा जीवन में राका बन
तृषित ह्रदय चातकी प्यास सी।
पयदानी = पैदानी,
चारदिवारी = चाहरदीवारी
कियारी = क्यारी
21 टिप्पणियां:
दुविधा में डाल दिया आपने प्रतुल भाई, बच्ची और कविता में ज्यादा प्यारी कौन?
बहुत ही सुंदर..... कविता भी और बिटिया भी
वत्सलता का शिलान्यास सी
मध्य बिंदु माँ पिता व्यास सी ...बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ अनुपम भाव संयोजन।
आपकी इस शानदार प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार २३/७ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है सस्नेह ।
ऐसी प्यारी बिटिया रानी -
इन पर तो कविता खुद ही न्योछावर हो जाय!
हमारी संजय जी सी दुविधा नहीं है, बच्ची ज्यादा प्यारी है :)
लिखते रहिये ...
खुबसूरत रचना !
latest दिल के टुकड़े
latest post क्या अर्पण करूँ !
bahut hi sundar kavita , vaakai bitiya aur kavita donon hi pyari lagi.
BAHUT HI SNDAR NAHIN ADBHUT AUR GAHAN ABHIWYAKTI
suprabhat guruji,
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@ दुविधा में डाल दिया आपने प्रतुल भाई, बच्ची और कविता में ज्यादा प्यारी कौन?.....sachhi baat
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pranam.
@ संजय भाईसाहब , प्यारी तो बच्ची ही है कविता तो बच्ची के कारण से ही प्यारी लग रही होगी!
@ डॉ. मोनिका जी, आपने जाना कार्य और कारण के अंतर्संबंध को. सच है … जिसने जाना उसे दोनों सुन्दर लगने लगे.
@ पल्लवी जी, कविता के केंद्र की पहचान करना कवि मन में प्रवेश ले लेना है.
@ कुमारी राजेश जी, आभारी हूँ मन के कोमलतम भावों को मंच देने के लिए.
@ प्रतिभा जी,
सच है … वात्सल्य की शिला पर कविता स्वयं को न्योछावर करने में धन्य मानती है.
@ मजाल जी,
मेरी क्या मज़ाल जो कहूँ कविता प्यारी है.
ममता के आगे तो सारी समता हारी है.
@ आदरणीय कालीपद प्रसाद जी,
रचना पर पद+धारने के लिए आभार।
@ रेखा जी, 'आपका बिटिया और कविता दोनों को एक दृष्टि देखना' न्याय तुला के दोनों पाटों का कुशल हाथों से संतुलन बैठाना है. :)
@ रमाकांत जी, जानता हूँ कविता के साथ यदि कोमलतम भावों की तस्वीर दी गयी हो तो अच्छे आलोचक भी अपना गुण त्याग देते हैं. :)
@ प्रिय संजय जी,
प्रश्नों पर मुग्ध होना और उत्तर पर गदगद होना कोई आपसे सीखे।
बहुत ही सुन्दर!
सच कहा है प्रतिभा जी ने - इतनी सुन्दर बिटिया पर कविता क्यों न न्योछावर हो!
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