सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

बाल-रुदाली
















'हठ' जब बाल-रुदाली गाता
वत्सल हृदय पिघलता जाता
फलता नहीं मनोरथ कोई
'रट' विधि से पूरा हो जाता॥

2 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार को
दर्शन करने के लिए-; चर्चा मंच 1893
पर भी है ।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...