बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

चित्र-मुग्ध अध्याय



"अम्मा पास बैठना है"

"अम्मा पास बैठना है" - बेटी की ये कामना है। घेरा बच्चों का बना है। घुसना उसमें कब मना है!
अम्मा ने किस्सा बुना है। सारे बच्चों ने सुना है। बेटी ने वो ही चुना है, जो रह जाता अनसुना है!


'सचमुच' का आभार


किस्सों का संसार - बैठे-बैठे संचार। हो किस्सा मज़ेदार – सुनने को सब तैयार॥

तन्मयता व्यापार - में चलता नहीं उधार। बेटी मचली तो मैंने गोदी से दिया उतार॥
''जाना है'' कहकर जाती जाने कितने ही बार। 'झूठमूठ' को होता 'सचमुच' का आभार॥


4 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

वाकई , कितना रोचक होता है किस्सों का संसार

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12-02-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा -1887 में दिया जाएगा
धन्यवाद

Shanti Garg ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

आदरणीय मोनिका जी, दिलबाग जी और शांति गर्ग जी आपकी मुखर उपस्थिति से ज्ञात हुआ कि आप मेरी स्वान्तः सुखाय काव्य-क्रीड़ा को भी सराहते हैं। कोई उपस्थित न हो तो यही लगता है जैसे वीराने में मयूर कलाप छटा बिखेर रहा हो।
आभारी हूँ 'चित्र-मुग्ध अध्याय' के अध्येताओं का। :)