यह ब्लॉग मूलतः आलंकारिक काव्य को फिर से प्रतिष्ठापित करने को निर्मित किया गया है। इसमें मुख्यतः शृंगार रस के साथी प्रेयान, वात्सल्य, भक्ति, सख्य रसों के उदाहरण भरपूर संख्या में दिए जायेंगे। भावों को अलग ढंग से व्यक्त करना मुझे शुरू से रुचता रहा है। इसलिये कहीं-कहीं भाव जटिलता में चित्रात्मकता मिलेगी। सो उसे समय-समय पर व्याख्यायित करने का सोचा है। यह मेरा दीर्घसूत्री कार्यक्रम है।
6 टिप्पणियां:
बहुत प्यारी लोरी...
बहुत मधुर लोरी है .
प्यारी सी लोरी , सुन्दर
आज ही देखी.
भहुत अच्छा लग कि किसी के प्रेरणा स्त्रोत बने. अच्ची कविता दी है प्रतुलजी आपने.
पूरी कविता इसनी हा है या और हा पढ़ना चाहूँगा.कृपया प्रेषित करे laxmirangam@gmail.com
अयंगर
सभी आगंतुक टिप्पणीकारों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।
आदरणीय कैलाश जी, अल्पना जी, मयंक जी, मोनिका जी और रंगराज अयंगर जी ने अपनी उपस्थिति से इस एक कक्षीय शाला की शोभा न्यून नहीं पड़ने दी।
अयंगर जी, बिटिया के लिए कुछ भी करना बहुत सुखद है। लोरी अभी एक गुनगुनाहट भर है। लोरी का विस्तार करूँगा जरूर। बेटी नानी घर गई है, महीने भर वहीँ खेलेगी।
बहुत प्यारी लोरी
एक टिप्पणी भेजें