संयम की प्रतिमा बन जाओ
जितनी चाहे जड़ता खाओ
आगमन हुवेगा जब उसका
भूलोगे अ आ इ ई ओ.
दृग फेर आप मुख पलटाओ
या निर्लज हो सम्मुख आओ
पहचान हुवेगी जब उससे
सूझेगा केवल वो ही वो.
मन की बातें न झलकाओ
पीड़ा को मन में ही गाओ
उदघाटित हो जाएगा जब
हँसेंगे सब हा-हा हो-हो.
1 टिप्पणी:
मन की बातें न झलकाओ
पीड़ा को मन में ही गाओ
उदघाटित हो जाएगा जब
हँसेंगे सब हा-हा हो-हो.
सच में प्रारंभ से अंत तक का सही बखान किया आपने...
सूझेगा केवल वो ही वो.
सत्यवचन...
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