जब करे याचना 'सुंदरता'
लिख दो ना कवि, मुझ पर कविता
कुछ पता नहीं क्रय हो जाए
कब कंचन सम काया ललिता।
वर खोज रहे उपयुक्त पिता
जिसकी होना मुझको वनिता
आ वरण करे उससे पहले
मुझको मेरी ग्रैविटी बता।
अब तक प्रचलित ही भाव खिले
कुछ गिने चुने ही शब्द मिले
कवि, अपने शब्दों में बाँधो
शुष्कता हृदय की छिले-छिले।
लिख दो ना कवि, मुझ पर कविता
कुछ पता नहीं क्रय हो जाए
कब कंचन सम काया ललिता।
वर खोज रहे उपयुक्त पिता
जिसकी होना मुझको वनिता
आ वरण करे उससे पहले
मुझको मेरी ग्रैविटी बता।
अब तक प्रचलित ही भाव खिले
कुछ गिने चुने ही शब्द मिले
कवि, अपने शब्दों में बाँधो
शुष्कता हृदय की छिले-छिले।
1 टिप्पणी:
उम्दा प्रस्तुति ।
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