tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post7661183258089115382..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: हम से मत मिलो अरी बाले!प्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-69711274731457829162010-09-30T09:21:35.537+05:302010-09-30T09:21:35.537+05:30Pratul Ji,
Kya bat hai....Shringar Ras ka bahut h...Pratul Ji,<br /><br />Kya bat hai....Shringar Ras ka bahut hi badiya prastuti hai....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-34377569059905441092010-09-28T05:29:38.798+05:302010-09-28T05:29:38.798+05:30प्रतुल हाहाहाहा भैया में भी इस बार ढेर हो गया। भला...प्रतुल हाहाहाहा भैया में भी इस बार ढेर हो गया। भला हो दीप का जो इसका अर्थ समझ में आ गया। मित्र अजीत जी के ब्लॉग से सीधा उनकी टिप्पणी पढ़ कर भाग कर आया हूं तुम्हारे ब्लॉग पर। देख लो मैं कहता था न कि तुम्हारी पंक्तियां कहीं न कहीं महाकवियों के आंगन तक पहुंचने की कोशिश करती हैं और एकदिन जरुर पहुंच जाएंगी। आप तो मानते नहीं थे, आखिर हम आम पाठक जो ठहरे। अब मान लो और गुरुत्तर जो जिम्मेदारी खुद उठा ली है उसमें लगे रहो। अमित भाई के बारे में क्या कहूं.....कहीं निष्काम कर्मयोगी बना दें तु्म्हें तो भी शिकायत नहीं कर सकता। छुट्टी का हक तो खैर बनता है। फिर मिलते हैं। हां बाकी कविताएं भी पढ़ ली हैं। उसपर अब कोई टिप्पणी बेमानी हैं.....Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-50995911628437657072010-09-27T14:51:11.308+05:302010-09-27T14:51:11.308+05:30आवत सबही सब कुछ समझ कौन क़तर केश वाली
अरे मधुप ...आवत सबही सब कुछ समझ कौन क़तर केश वाली<br /> अरे मधुप छोड़ मधुबन, मधुभाजन चाटन की ठानी<br /> मधु मथन को भजन कर मधुमल्ली माल जो धारी<br /> मधु-माधव हो सदा जीवन,मधुरारी अमितभय हारी<br />XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX<br />मधुप>>>> भंवरा<br />मधुभाजन>>>>> मदिरापात्र<br />मधुमथन>>>> मधु नामक दैत्य को मथने वाले, श्रीकृष्ण<br />मधुमल्ली>>>>> मालती पुष्प<br />मधु-माधव>>>>> बसंत के दो मास—चैत्र और बैसाख।<br />मधुरारी>>>>> मधु नामक दैत्य के शत्रु, श्रीकृष्णAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-87156552465692545132010-09-27T11:02:39.172+05:302010-09-27T11:02:39.172+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-81899102581113222062010-09-27T11:01:03.923+05:302010-09-27T11:01:03.923+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-45061886301838603782010-09-27T10:35:54.790+05:302010-09-27T10:35:54.790+05:30कवि मैं तो प्रथम तै ही तों बरजत आयो
मीच आँख खेल्यो...कवि मैं तो प्रथम तै ही तों बरजत आयो<br />मीच आँख खेल्यो तुही समझ ना पायो<br /><br />शब्दन कूँ ब्रह्म जान,भक्ति रस सों कर श्रृंगार<br />कर लीला गान, संसारी गुणगान भंवर टार<br /><br />श्रृंगार ही जो करन चाहे, सजन चुन ऐसा<br />ना जिए ना मरे अमित सुन्दर वैसा का वैसाAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-21380963674035758032010-09-27T10:34:54.022+05:302010-09-27T10:34:54.022+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-1893455271382563882010-09-26T19:36:59.697+05:302010-09-26T19:36:59.697+05:30प्रिय बंधुवर प्रतुल जी
क्या बात है ! क्या बात...<b><i>प्रिय बंधुवर प्रतुल जी </i></b> <br /> क्या बात है ! क्या बात है ! क्या बात है ! <br /><b> कम केश क़तर काले<br /> </b>अर्थात् <b>अर्ध केश वाली</b> <br />अर्थात्<br /> <b>बॉब कट ! </b><br />प्रतुल जी , रहस्य उद्घाटित हो रहे हैं … :) :) <b> </b> <br />अति सुंदर सरस सुखदायक सृजन हेतु साधुवाद !<br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-44707113414342868922010-09-26T18:57:11.503+05:302010-09-26T18:57:11.503+05:30धन्यवाद सतीश जी,
मुझे हमेशा अमित-भय बना रहता है क...धन्यवाद सतीश जी, <br />मुझे हमेशा अमित-भय बना रहता है कि वे मुझे शब्द और भाव रसिक के अतिरिक्त कामुक या लम्पट ना मान लें. लेकिन मैं अपने उद्देश्य को लेकर इस ब्लॉग जगत में आया हूँ, कृपया ऐसे ही प्रोत्साहन देते रहें.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-86202051580626007222010-09-26T18:52:10.646+05:302010-09-26T18:52:10.646+05:30मित्र दीप, मैं यहीं हूँ, मेरे पिछले दो महीने के श्...मित्र दीप, मैं यहीं हूँ, मेरे पिछले दो महीने के श्रम की क्षति हो गयी है. <br />अतः मैं लगभग एक सप्ताह गायब रहने वाला हूँ. हाँ अर्थ बता जाता हूँ. <br />______________________<br />"ओ कम चिकने [तेल रहित] व काले अर्ध केश वाली बाले! मुझसे मत मिला करो. मेरे जो नयन सौन्दर्य के सम्मुख सदा नत रहते थे उन लज्जित व संयम से ललाम बने नयनों के तारक ताले तोड़ कर बाहर भाग खड़े हुए हैं. सौन्दर्य के पिपासु उन तारकों को संयम के ताले तोड़ने में आपके इन अर्धकेश से बड़े सौन्दर्य ने ही उकसाया था. अतः अबसे मुझसे मिलने की आपको ज़रुरत नहीं मेरे नयन बिन पुतलियों के हो गये हैं. सीधा सा अर्थ है मैं अंधा हो गया हूँ." <br /><br />इस पीड़ा को सुनकर बाला कहती है : <br />______________<br />"स्वप्न में मिलने वाले ओ मेरे मित्र! मेरे प्रीत को पालने वाले तुम मुझे अपने शब्दों में उलझा लो, और यदि तुम्हारे नयनों से तारक भाग गये हैं, तो मैं भरपायी को प्रस्तुत हूँ, तुम मुझे अपने नयनों में बंदी कर लो." <br /><br />________________________<br />.............. यहाँ ला ले का अर्थ प्रवेश करा लेने से है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-70243765574265002372010-09-26T13:43:09.625+05:302010-09-26T13:43:09.625+05:30प्रतुल प्यारे कित्थे हो?प्रतुल प्यारे कित्थे हो?VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-60297175020550429292010-09-26T13:01:21.760+05:302010-09-26T13:01:21.760+05:30यार अब तो बहुत हो चुकी ये समझ में ना आने वाली साहि...यार अब तो बहुत हो चुकी ये समझ में ना आने वाली साहित्यकारी. सीधे सीधे सरल भाषा में पूछता हूँ. प्रतुल प्यारे अपपनी कविता का अर्थ मुझे भी समझा दो.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-31498686663110402932010-09-26T12:59:15.132+05:302010-09-26T12:59:15.132+05:30तो हे नटखट श्याम आओ और मेरा काव्य प्राशन करवाओ.तो हे नटखट श्याम आओ और मेरा काव्य प्राशन करवाओ.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-25882100835236312132010-09-26T12:57:04.252+05:302010-09-26T12:57:04.252+05:30काश मैं किसी नदिया के तीरे होता तो शायद मेरी प्यास...काश मैं किसी नदिया के तीरे होता तो शायद मेरी प्यास बुझ जाती.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-24054953609865417342010-09-26T12:56:10.696+05:302010-09-26T12:56:10.696+05:30मैं सागर किनारे बैठ भी प्यासा ही रहा.मैं सागर किनारे बैठ भी प्यासा ही रहा.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-81219277628023419552010-09-26T12:55:11.410+05:302010-09-26T12:55:11.410+05:30वो समझ गए पर मैं अभागा समझ ना पाया.वो समझ गए पर मैं अभागा समझ ना पाया.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-85066870590167646442010-09-26T12:54:27.366+05:302010-09-26T12:54:27.366+05:30मित्र मुझे सतीश जी से ईर्ष्या सी हो रही है.मित्र मुझे सतीश जी से ईर्ष्या सी हो रही है.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-30015202044825459752010-09-26T12:48:10.746+05:302010-09-26T12:48:10.746+05:30मुझे समझ आए या ना आए पर लोग समझ रहे हैं. मैं इससे ...मुझे समझ आए या ना आए पर लोग समझ रहे हैं. मैं इससे बहुत खुश हूँ.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-20801176403464592942010-09-26T10:06:01.009+05:302010-09-26T10:06:01.009+05:30कमाल की रचना है प्रतुल ....ब्लाग जगत में यह श्रृंग...कमाल की रचना है प्रतुल ....ब्लाग जगत में यह श्रृंगार कम देखने को मिलता है ! हार्दिक शुभकामनायेंSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com