tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post391269656005382326..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: कंठ में बाँध रहा हूँ पाशप्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-53310871594407327282010-09-02T17:15:04.184+05:302010-09-02T17:15:04.184+05:30.
आप ही न केवल बलवान
रूप, गुण-रत्नों की हो खान.
कि....<br />आप ही न केवल बलवान<br />रूप, गुण-रत्नों की हो खान.<br />किया करता सबका सम्मान<br />सभी लगते मुझको भगवान्. <br /><br />सुन्दर पंक्तियाँ। <br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-33670492411513447802010-07-09T19:56:35.629+05:302010-07-09T19:56:35.629+05:30मसि सहेली का अनन्य समर्पण-------
जब तक नायिका करत...मसि सहेली का अनन्य समर्पण-------<br /><br />जब तक नायिका करती मान व्यवहार<br />नायक भी रिझाने को हर संभव तैयार<br /><br />पर अद्भुत मान लीला होत है बीच पिय प्यारी<br />ज्यो ज्यो नर्म होत कामिनी कान्त होत भारी<br /><br />मानिनी तो मान तज्यो सर्वस कियो एकाकार<br />तौ कंत पर गुमान चड़त है बरजत बारम्बार <br /><br />प्रियवर यह तो मान हो श्रृंगार नायिका को है<br />याही निज अपमान ना मानो नेह हमारो है<br /><br />भंत यह पंथ है क्लिष्ट बड़ो, तौ बिन ना गुजारो है<br />अमित सखी संग रहूँ पड़ी जो साथ तुम्हारो हैAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.com