tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post1774340316275601329..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: छंद-चर्चा ...... पाठ 1प्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-35169573243277222312011-04-08T18:48:29.208+05:302011-04-08T18:48:29.208+05:30छंद पर इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए साधुवाद .....छंद पर इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए साधुवाद ...सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-31812376107470294182011-04-08T11:08:46.069+05:302011-04-08T11:08:46.069+05:30अब प्राथमिक छात्रों को पढ़ाते समय कई ऎसी भूल करनी ...अब प्राथमिक छात्रों को पढ़ाते समय कई ऎसी भूल करनी पढती है जिसे हम जानते हैं लेकिन सरलता के चक्कर में सिखाने के लिये जानबूझकर करते हैं. <br />मानता हूँ कि यह ग़लत परम्परा है लेकिन संगीता जी जैसे सुधारक ही प्रश्नों को लाकर विद्यार्थियों के मन में सही बात की जड़े गहरे जमा देते हैं. <br /><br />*ओम = ओउमप्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-1137425061009081162011-04-08T11:02:19.141+05:302011-04-08T11:02:19.141+05:30.
त्रुटि की तरफ ध्यान दिलाने के लिये धन्यवाद.
वर....<br /><br />त्रुटि की तरफ ध्यान दिलाने के लिये धन्यवाद.<br /><br />वर्ण मतलब कोई भी स्वर और व्यंजन <br />लेकिन अक्षर वह जिसमें एक स्वर अवश्य निहित रहे <br />बिना स्वर के अक्षर नहीं बनता. जैसे कुछ शब्द हैं : राम, ओम ... दिखने में ये दो अक्षरी लगते हैं लेकिन ये शब्द एक अक्षरी हैं. <br />खोलकर समझते हैं : <br /><br />राम = र^ + अ + म^ [ नोट : हलंत नहीं लगा पा रहा हूँ, उसके एवज में ^ लगा देता हूँ. ]<br />ओम = अ^ + उ + म^ <br /><br />एक और सरल तरीका है अक्षर पहचानने का :<br />आप किसी शब्द को इंग्लिश में लिखकर देखें जितने वोविल होंगे वह शब्द उतने अक्षर का होगा. <br /><br />इस समस्त चर्चा में आदरणीया संगीता स्वरुप जी का हार्दिक धन्यवाद. <br />अब मैं अपना किया वादा निभाउंगा उनपर कविता लिखकर. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-52558564939938365882011-04-08T10:30:39.395+05:302011-04-08T10:30:39.395+05:30छंद पर विस्तृत जानकारी ...रोचक है पढ़ना ...
गुरु ...छंद पर विस्तृत जानकारी ...रोचक है पढ़ना ...<br /><br />गुरु जी एक संशय है ...<br /><br />वर्ण या अक्षर कहते हैं, जिसके खंड नहीं हो सकते. <br /><br />वर्ण को ही अक्षर नहीं कहते हैं ..वर्ण के खंड नहीं हो सकते लेकिन अक्षर के हो सकते हैं ...<br /><br />क = क्+ असंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-58136650059979029762011-04-07T14:33:25.153+05:302011-04-07T14:33:25.153+05:30मैं तो नईसड़क पर रस छंद अलंकर की किताबे खोजने जा र...मैं तो नईसड़क पर रस छंद अलंकर की किताबे खोजने जा रहा था देखा तो गुरूजी क्लास लगाये बठे है क्यूँ न बहती गंगा में हाथ धो ले, १९८० के बाद पुरावृति हो जाएगीगिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-18780274237248092752011-04-07T09:03:58.017+05:302011-04-07T09:03:58.017+05:30प्रतुल जी, आपका परिश्रम स्वागत योग्य है। अमितजी ...प्रतुल जी, आपका परिश्रम स्वागत योग्य है। अमितजी ने छुट्टियों के लिए प्रार्थना पत्र लिखा है उसे अमान्य कर दें। उनसे कहें कि छंद युक्त लिखें, तब स्वीकृत होगा। शुभकामनाएं, बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-85333537288556181292011-04-07T07:43:03.197+05:302011-04-07T07:43:03.197+05:30बहुत सुखद अनुभव हुआ आपका लेख पढ़ कर और छंद के बारे...बहुत सुखद अनुभव हुआ आपका लेख पढ़ कर और छंद के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत हो.जब हाईस्कूल में थे तब हिन्दी में छंद आदि के बारे में पढते थे.ज्यादा समझ नहीं आता था तब.अब कोशिश करता हूँ फिर से समझने की.<br />आप मेरे ब्लॉग पर एक बार आये इसके लिये बहुत बहुत आभार आपका. आशा है आप समय समय पर आकर अपनी सार्थक टिपण्णी से मुझे अनुग्रहित करेंगें.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-30224515533040358752011-04-01T14:46:01.227+05:302011-04-01T14:46:01.227+05:30suprabhat guruji
balak jab class work nahi kar p...suprabhat guruji <br /><br />balak jab class work nahi kar pata<br />to home work kaise kar payega.....<br /><br />uthak baithak......das kyon bis bhi <br />laga liye.....aur ghumne ka alam ye<br />hai.......ke kai baar loutne ka rasta nahi milta...........<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-60592485407728721262011-04-01T13:29:31.497+05:302011-04-01T13:29:31.497+05:30प्रिय सञ्जय जी,
आपकी शिकायत मिली है कि आप देसी-बि...प्रिय सञ्जय जी, <br />आपकी शिकायत मिली है कि आप देसी-बिदेसी ब्लोगों पर बहुत घूमते-फिरते हैं. घर पर {अपने ब्लॉग पर} कुछ काम-वाम नहीं करते. काम करने के नाम पर बहानेबाजी करते हैं. <br /><br />चलिए कान पकड़कर दस उठ्ठक-बैठक लगाइए पूरी क्लास के सामने.<br /><br />कोई क्लास में आता नहीं है, छुट्टी लेकर बैठा जाता है तो कोई चुपचाप खिड़की से झाँककर चला जाता है. तो कोई बहाने बनाता है कि समझ में कम आता है.<br /><br />ऐसे कैसे चलेगा...... अभी तो छंद-चर्चा शुरू ही की थी और आप स्वच्छंद हो लिये.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-57517618272733807092011-03-31T11:07:15.703+05:302011-03-31T11:07:15.703+05:30सञ्जय जी, नमस्ते.
अब आपको समझने के लिये मुझे भी ल...सञ्जय जी, नमस्ते. <br />अब आपको समझने के लिये मुझे भी लम्बी क्लास लेनी होगी!<br /><br />SUPRABHAT GURUJI,<br /><br />SAYAD SIGHRATA ME KOOCH TRUTI RAH GAYI.....<br /><br />AB APKO SAMJHANE KE LIYE MUJHE BHI LAMBI CLASS LENI HOGI.....<br /><br />SIRF SANKA KE SAMADHAN HETU....<br /><br />PRANAM.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-66222722509621332872011-03-31T10:00:37.978+05:302011-03-31T10:00:37.978+05:30@ हे गुलाबी ग्राम, आपने लाभ लिया. आभार.@ हे गुलाबी ग्राम, आपने लाभ लिया. आभार.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-87334319801625560732011-03-31T09:58:41.732+05:302011-03-31T09:58:41.732+05:30@ प्रिय मदन जी,
सामवेद की ऋचाओं का गान मैंने भी व...@ प्रिय मदन जी, <br />सामवेद की ऋचाओं का गान मैंने भी विधिवत कभी कुछ महीनों तक किया था. उससे बस इतना लाभ हुआ कि मेरे मुख मेरी जिह्वा मेरे जबड़े का अच्छा व्यायाम हो जाता था. <br />और उससे गीति के प्रति मेरा मोह बढ़ता जाता था. आप भी ऐसा कर सकते हैं. हिमालय जाना तो महँगा पड़ेगा आप घर की छत पर प्रातःकाल बैठकर ही तुकबंदी का प्रयास कर सकते हैं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-10389810082308177542011-03-31T09:54:37.225+05:302011-03-31T09:54:37.225+05:30.
हीरों की पहचान तो जौहरी को ही होती है । आपकी पा....<br /><br />हीरों की पहचान तो जौहरी को ही होती है । आपकी पारखी दृष्टि को नमन । <br />@ अच्छा व्यंग्य है मुझ पर. जोहरी जानता है कि कौन हीरा है, कौन कोयला है, और कौन ज्वलनशील कोयला है?<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-37413287133993838362011-03-31T09:52:44.292+05:302011-03-31T09:52:44.292+05:30.
अपने लिए बस यही कहूँगी - "बन्दर क्या जाने ....<br /><br />अपने लिए बस यही कहूँगी - "बन्दर क्या जाने अदरख (छंद और काव्य) का स्वाद।"<br />@ प्रिय दिव्या जी, आप अपनी क्षमताओं का प्रयोग शालीनता के कारण ही नहीं कर रहीं. आप बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. <br />यहाँ तो निरर्थक विषयों से मन बहलाव होता है लेकिन आप गंभीर विषयों पर मनन कराने का जिस गति से कार्य कर रही हैं वह किसी के बूते की बात नहीं है. <br />इसे चाटुकारिता न समझना, यह वास्तविकता है. छंद और काव्य सृजन विद्वानों को भ्रम में रखते हैं कि वे एक्स्ट्रा ओरडीनरी हैं. जबकि सच यह है कि वे केवल जोश दिलाकर पीछे से तमाशा देखने वाले होते हैं. <br />सहृदय सामाजिक व्यक्तियों की ही समाज को जरूरत है. कवि-कलाकारों की उपयोगिता क्षेत्र में काम करने वालों से कमतर है. सामाजिक लेखों के ज़रिये विचार-क्रान्ति चलाने वाले ही इतिहास में अमर होते हैं.<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-69726053583463247382011-03-31T09:48:29.848+05:302011-03-31T09:48:29.848+05:30प्रिय अमित जी,
आपकी छुट्टी मंजूर की जाती है.
सही...प्रिय अमित जी, <br />आपकी छुट्टी मंजूर की जाती है. <br />सही बात है ... पहले अर्थ-उपार्जन की गतिविधियाँ फिर व्यर्थ के संग्रहण की विधियाँ. <br /><br />प्रतिभार सहित <br />अवैतनिक प्रधानाचार्यप्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-43616372249704661612011-03-31T09:46:43.386+05:302011-03-31T09:46:43.386+05:30सञ्जय जी, नमस्ते.
अब आपको समझने के लिये मुझे भी ल...सञ्जय जी, नमस्ते. <br />अब आपको समझने के लिये मुझे भी लम्बी क्लास लेनी होगी!प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-34439127607908166412011-03-31T09:46:15.345+05:302011-03-31T09:46:15.345+05:30डॉ. मोनिका जी,
आपके द्वारा पाठशाला का दौरा लगाना ...डॉ. मोनिका जी, <br />आपके द्वारा पाठशाला का दौरा लगाना मुझे अब अच्छा लगने लगा है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-56394228143302475642011-03-31T09:45:32.753+05:302011-03-31T09:45:32.753+05:30.
हरकीरत जी,
आप नज़्म भली लिखती हैं. सर्वविदित ....<br /><br />हरकीरत जी, <br />आप नज़्म भली लिखती हैं. सर्वविदित है.<br />यहाँ तो काव्य क्रीड़ा हो रही है. जो शामिल हो उसका भी भला, जो न हो उसका भी भला. <br />हार जीत का प्रश्न ही नहीं है. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-65332763626377392072011-03-31T09:44:26.088+05:302011-03-31T09:44:26.088+05:30जानकारी से भरपूर एक सार्थक पोस्ट...
नीरज
@ राजभा ...जानकारी से भरपूर एक सार्थक पोस्ट...<br />नीरज<br /><br />@ राजभा ताराज जभान राजभा सलगा गा....<br />भानसप्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-51169268920148993572011-03-31T08:21:15.336+05:302011-03-31T08:21:15.336+05:30जानकारी से भरपूर एक सार्थक पोस्ट| धन्यवाद|जानकारी से भरपूर एक सार्थक पोस्ट| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-57101447328075428932011-03-30T23:44:21.024+05:302011-03-30T23:44:21.024+05:30बहुत सुन्दर और उपयोगी लेख!!
किन्तु मुझ जैसे मात्र...बहुत सुन्दर और उपयोगी लेख!! <br />किन्तु मुझ जैसे मात्र तुकबंदी करने वाले अज्ञानी के समझ के बाहर लगता है ये सब! <br />लगता है हिमालय पे जा के वहीँ पे साम वेद का गान करूँ तभी मुझे कविता का इतना अच्छा ज्ञान उपलब्ध होगा.मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-25960173380309844012011-03-30T18:13:59.017+05:302011-03-30T18:13:59.017+05:30हीरों की पहचान तो जौहरी को ही होती है । आपकी पारखी...हीरों की पहचान तो जौहरी को ही होती है । आपकी पारखी दृष्टि को नमन । डॉ अनवर जमाल निसंदेह , एक उच्च कोटि के कवि भी हैं।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-61752633258056061432011-03-30T17:50:59.760+05:302011-03-30T17:50:59.760+05:30.
अपना नाम न पाकर जिन पाठकों को क्लेश हुआ वो मूर्....<br /><br />अपना नाम न पाकर जिन पाठकों को क्लेश हुआ वो मूर्ख की श्रेणी में ही रखे जायेंगे। तथा शिकायत करके वो अपनी छुद्र मानसिकता का परिचय दे रहे हैं ।<br /><br />ये आपका बड़प्पन है की आप बिना किसी द्वेष के हर किसी को मान देते हैं । विद्वानों की पहचान ही यही है की वो मान-अपमान से ऊपर उठें ।<br /><br />बहुत सुन्दर और उपयोगी लेख है । छंद और काव्य तो विद्वानों का आभूषण है । मेरी मात्र उपस्थिति है यहाँ ।<br /><br />अपने लिए बस यही कहूँगी - " बन्दर क्या जाने अदरख (छंद और काव्य) का स्वाद ।<br /><br />आभार । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-28758028277828147392011-03-30T11:26:28.131+05:302011-03-30T11:26:28.131+05:30सेवा में,
प्रधानाध्यापक
दर्शन-प्राशन उच्च-माध्यमिक...सेवा में,<br />प्रधानाध्यापक<br />दर्शन-प्राशन उच्च-माध्यमिक विद्यालय<br /><br />विषय :- अवकाश प्राप्ति हेतु<br /><br />श्रीमान जी, उपरोक्त विषयान्तर्गत निवेदन है की, मैं अभी वित्तीय-वर्ष समापन की गतिविधियों में अत्यधिक व्यस्त होने के कारण कक्षा में उपस्थित होने में असमर्थ हूँ . अतः आप कुछ दिन का अवकाश स्वीकृत करने की कृपा करें.<br /><br />आभार सहित<br />अमित शर्माAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-73831373517972503442011-03-30T10:18:58.667+05:302011-03-30T10:18:58.667+05:30suprabhat guruji.....
is nayi vidha(hamare liye)k...suprabhat guruji.....<br /><br />is nayi vidha(hamare liye)ko samjhne<br />ke liye balak ko......is pathashala me abhi lamba class lene honge......<br /><br />phir bhi shabd sahaj/saral hone ke karen thora bahut samjh liye......<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.com