tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post9102771894875703061..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: पावक-गुलेल -2प्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-86757895442603295602012-03-12T17:25:55.817+05:302012-03-12T17:25:55.817+05:30@ आदरणीय सतीश जी,
प्रायः रंगोत्सव के बहाने भावोत...@ आदरणीय सतीश जी, <br /><br />प्रायः रंगोत्सव के बहाने भावोत्सव मनाया जाता है. मेरे भावों के रंग ही न कोई पहचाने तो हमारी शुभकामनाओं का क्या दोष.... लेकिन आपकी पारखी नज़र से शायद ही वे शुभकामनाएँ बच पायी हों. <br /><br />होली पर एक भाव व्यक्त करता हूँ.... <br />"पलकों के अन्दर नयनों से, <br />अंगुली खेलें काज़ल होली. <br />अंगुष्ठ खेलता बहना का, <br />भैया के माथे पर होली." <br />....होली न जाने कहाँ-कहाँ खेली जा रही है और खेली जा सकती है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-83868570641752281472012-03-12T17:23:44.883+05:302012-03-12T17:23:44.883+05:30@ प्रिय सञ्जय, नमस्ते.
कोई आनंदवादी नहीं चाहता कि...@ प्रिय सञ्जय, नमस्ते.<br /><br />कोई आनंदवादी नहीं चाहता कि वह द्वार बंद करके बैठे. लेकिन जब कोई मन के उदगार ही न सुने तब विपरीत मार्ग विकल्प रूप में सूझता ही है.<br /><br />अपने प्रिय जनों के अत्यंत आत्मीय उदगार सुनने के लिये भी इस मार्ग पर चलना होता है. यह जरूरी नहीं कि नियति में हमेशा सफलता ही मिले!प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-90506956318915175562012-03-12T17:23:07.052+05:302012-03-12T17:23:07.052+05:30@ आदरणीय डॉ. मयंक जी, आप काव्य-क्रीड़ा पर भी प्रसन...@ आदरणीय डॉ. मयंक जी, आप काव्य-क्रीड़ा पर भी प्रसन्न होकर शाबासी देते हैं, <br /><br />सचमुच, बड़ों का सर पर रखा प्यार भरा हाथ छोटों को शरारत करने देने में उनमें अपनत्व भाव भर देता है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-64959991750475787882012-03-12T17:21:43.296+05:302012-03-12T17:21:43.296+05:30जहाँ न पहुँचे दिविता वहाँ पहुँचे कविता?
@ सुज्ञ ज...जहाँ न पहुँचे दिविता वहाँ पहुँचे कविता?<br /><br />@ सुज्ञ जी, जहाँ नीर-क्षीर विवेकी का आगमन हो जाये वहाँ तरल से भी मलाई या ठोस पृथक कर दिया जाता है. रवि मन बेशक संतुष्ट हुआ लेकिन जानता हूँ काव्य-सरोवर में उतरा हंस संतुष्ट नहीं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-34566543138325538372012-03-12T11:11:50.783+05:302012-03-12T11:11:50.783+05:30@ आदरणीय रविकर जी,
धुंधलके में हाथ-पाँव मारने पर...@ आदरणीय रविकर जी, <br /><br />धुंधलके में हाथ-पाँव मारने पर जो हाथ आता है वह चाहे जो हो वह अद्भुत लगता है. हम कभी-कभी खुद नहीं जानते कि अंतरतम में क्या-क्या छिपा है. जब हाथ में कलम आती है और भावों की बुनाई होने लगती है तो कोई-न-कोई आकृति बन ही जाती है. जितने भी प्रेम और घृणा के पात्र हैं वे तत्कालीन व्यवहार से हमारे स्वभाव को अक्षर-शब्दों में व्यक्त करते रहते हैं. फिर भी न जाने कितने ही भाव ऐसे हैं जो अस्पष्ट रह जाते हैं. कविताई से हम अपने मन के अस्पष्ट भावों को ज्यूँ-का-त्यूँ रख पाते हैं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-14553341080319748752012-03-12T11:11:29.525+05:302012-03-12T11:11:29.525+05:30प्रिय कुँवर जी,
स्वास्थ्य लाभ लेने के कारण से आप...प्रिय कुँवर जी, <br /><br />स्वास्थ्य लाभ लेने के कारण से आपका स्वागत विलम्ब से कर पा रहा हूँ. लेकिन मन के आनंद को अभी भी बरकरार रखे हूँ. आपकी उपस्थिति बहुत ही सुखकर होती है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-71367545602294251182012-03-06T10:05:17.870+05:302012-03-06T10:05:17.870+05:30आपकी हर रचना हिंदी प्रेमियों के लिए संकलन योग्य हो...आपकी हर रचना हिंदी प्रेमियों के लिए संकलन योग्य होती है.... <br /> रंगोत्सव की शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-23976430043552643852012-03-02T10:18:50.754+05:302012-03-02T10:18:50.754+05:30suprabhat guruji,
achhi kavitai...
kai din baad ...suprabhat guruji,<br /><br />achhi kavitai...<br /><br />kai din baad blog khola....aur aapka<br />kiwar khula mila.....dil khush hua..<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-13931528790396004142012-02-29T21:23:05.505+05:302012-02-29T21:23:05.505+05:30वाह!
बहुत उम्दा प्रस्तुति!वाह!<br />बहुत उम्दा प्रस्तुति!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-9771848168745473002012-02-29T19:13:35.658+05:302012-02-29T19:13:35.658+05:30कर कलम शब्द कवि रहे खेल।
जहाँ न पहुँचे दिविता वहा...कर कलम शब्द कवि रहे खेल।<br /><br />जहाँ न पहुँचे दिविता वहाँ पहुँचे कविता?<br />इस पावक-गुलेल से रवि मन भी संतुष्ट हुआ!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-43394743717155504932012-02-29T17:57:20.655+05:302012-02-29T17:57:20.655+05:30बहुत स्पष्ट है अब |
आभार ।।बहुत स्पष्ट है अब |<br /><br />आभार ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-24791371587011300102012-02-29T15:09:17.751+05:302012-02-29T15:09:17.751+05:30अलंकारों को अलंकृत करती रचना.... शब्दों से अठखेलिय...अलंकारों को अलंकृत करती रचना.... शब्दों से अठखेलिया आपकी.. सभी को आनंदित कर देती है...<br /><br />कुँवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.com