tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post8741664343098883009..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: मसी-सहेली !प्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-13589051757561127972010-07-13T13:44:23.701+05:302010-07-13T13:44:23.701+05:30प्रसंशार्ह:
शोभनं काव्यम्प्रसंशार्ह:<br /><br />शोभनं काव्यम्SANSKRITJAGAThttps://www.blogger.com/profile/12337323262720898734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-65879867932203624012010-07-09T07:49:54.965+05:302010-07-09T07:49:54.965+05:30एक उलाहना -इतना उतावलापनएक उलाहना -इतना उतावलापनArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-4096212997024984782010-07-05T13:50:35.432+05:302010-07-05T13:50:35.432+05:30मसि सहेली का उलहना -----------
एहो प्रियवर! रुष्ट...मसि सहेली का उलहना -----------<br /><br />एहो प्रियवर! रुष्ट हूँ तुम से जाओ<br />बितायी कहाँ इतनी घड़ियाँ बतलाओ <br /><br />निज पाणी-पल्लव की द्रोण-पुटिका में भरकर <br />उर-तरु के मधुर फल का सार किसे पिलाया <br /><br />मैं वधु-नवेली मिलन आस में सिकुड़ी सकुचाई<br />भय मन में क्या उनको नगरवधू कोई भायी<br /><br />भय शमन करो आस पूर्ण करो करो त्रास निर्वाण <br />कवि आलिंगन मसि का करो हो अमित निर्माणAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.com