tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post7454579444771874967..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: बिंदुप्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-448332161928935242015-01-16T18:31:00.735+05:302015-01-16T18:31:00.735+05:30बिंदु का खेल भी अजब हैबिंदु का खेल भी अजब हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-44653402108838301512015-01-10T19:43:57.595+05:302015-01-10T19:43:57.595+05:30डॉ. उर्मिला सिंह जी, [मन के 'मनके']
आपके प...डॉ. उर्मिला सिंह जी, [मन के 'मनके']<br />आपके प्रयुक्त शब्दों से यह अनुमान लग गया कि अवश्य कोई प्रयोगों की समझ रखने वाला साहित्यकार गुपचुप रीति से उपस्थित हुआ है। :)प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-1403256608465889062015-01-10T19:30:42.965+05:302015-01-10T19:30:42.965+05:30आदरणीय महेन्द्र जी आपने बिन्दु-दर्शन से जीवन-दर्शन...आदरणीय महेन्द्र जी आपने बिन्दु-दर्शन से जीवन-दर्शन व्याख्यायित कर दिया। मामूली सी शाब्दिक प्रस्तुति को महत्व मिल गया ।<br />आदरणीय कैलाश जी, आपने बिन्दु की असीमित क्षमताओं को पहचानकर इस बिन्दु नाम्नी भाव कविता को उत्कृष्टता के पायदान पर बैठा दिया। <br />ये दोनों ही प्रोत्साहित करते आशीर्वाद 'दर्शन प्राशन' शाला के लिये 'स्मृति रत्न' हैं।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-83425574307982343652015-01-10T19:29:48.718+05:302015-01-10T19:29:48.718+05:30आदरणीय मोनिका जी,
आपकी 'वाह … ' का प्रवाह...आदरणीय मोनिका जी, <br />आपकी 'वाह … ' का प्रवाह दर्शन-प्राशन में वैसा ही जैसे किसी भी संभावित दुर्घटना पर प्राथमिक उपचार देने के लिए 'मेडीकल बोक्स' का होना। इस कारण परस्पर संवाद में निश्चिंतता आ जाती है । : )प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-53673401713203152452015-01-10T19:26:49.168+05:302015-01-10T19:26:49.168+05:30प्रिय रविकर जी, आपका स्नेह मुझे मेरी अनुपस्थिति मे...प्रिय रविकर जी, आपका स्नेह मुझे मेरी अनुपस्थिति में भी मिला करता है। इस बात से तो परिचित हूँ। पर इस बात से अनजान हूँ कि क्या अब काव्य-प्रतिक्रिया की बौछार हुआ करती है ? :)प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-32257017495235519992014-12-22T14:54:44.362+05:302014-12-22T14:54:44.362+05:30सच में बिंदु के अन्दर अपार क्षमतायें हैं रूप बदलने...सच में बिंदु के अन्दर अपार क्षमतायें हैं रूप बदलने की रूचि अनुसार...बहुत गहन और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-64858023722017713282014-12-17T17:23:58.379+05:302014-12-17T17:23:58.379+05:30बिंदु का खेल भी अजब है, ज़िन्दगी भी तो एक बिंदु से ...बिंदु का खेल भी अजब है, ज़िन्दगी भी तो एक बिंदु से शुरू हो दूसरे पर खत्म हो जाती है बिंदु से ही विराम लग जाता है तो बिंदु से लकीर खिंच जाती है ,उम्र ता उम्र ज़िन्दगी का दर्शन बिंदु के ही इर्द गिर्द बिखरा पड़ा है <br /> सुन्दर अभिव्यक्ति हेतु धन्यवाद dr.mahendraghttps://www.blogger.com/profile/07060472799281847141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-45864819100596499572014-12-16T19:30:07.728+05:302014-12-16T19:30:07.728+05:30
सुंदर प्रयोग.
<br />सुंदर प्रयोग.<br />मन के - मनकेhttps://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-1701021075542879742014-12-15T10:56:38.176+05:302014-12-15T10:56:38.176+05:30वाह .... वाह .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com