tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post6561067209381621773..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: "तुमसे ही तो मेरी चाँदनी"प्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-78993383189665483262010-10-28T10:23:16.833+05:302010-10-28T10:23:16.833+05:30guruji pranam,
yahan to hum sirf padh sakte hain....guruji pranam,<br /><br />yahan to hum sirf padh sakte hain......abhi shayad hame kafi<br />mehnat karni hai....tabhi kuch <br />prashn bhi kar paoonga........<br /><br />yse aap ka abodh balak ko diye gaye<br />path, balak ko bahut achha laga....<br /><br />sabhi bandhu-bandhvi ko shubh:kamnaसञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-4160610816128568362010-10-27T17:26:10.163+05:302010-10-27T17:26:10.163+05:30प्रतुल जी, आपके काव्य के बारे में कहना न कहना बराब...प्रतुल जी, आपके काव्य के बारे में कहना न कहना बराबर है मेरे लिए, सो पढ़ के चुपचाप निकल लेता हूँ, ये आप जानते हैं.<br />किन्तु इन परम प्रेम की बूंदों पर रूक कर मत्था न टेकूं यह संभव न हुआ...<br /><br />क्यों मगन हो सोते रहते <br />बहना से कुछ भी न कहते <br />बस देते रहते भाभी की <br />चिर नूतन अवदात चाँदनी<br /><br />भय लगता है भूल करूँगी <br />भैया से अन्याय करूँगी <br />पर फिर भी भैया यही कहेंगे <br />तुमसे ही तो मेरी चाँदनी<br /><br />कविता का विश्लेषण कर पाना मेरे सामर्थ्य के बाहर हमेशा से रहा है, पर इस स्नेह्पूरित काव्य के लिए नमन!<br />इन अतुल्य लाड कि स्वाति बूंदों के लिए असीम धन्यवाद स्वीकारें!Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-27593340461684071552010-10-27T16:51:56.163+05:302010-10-27T16:51:56.163+05:30.
@--ठीक उसी दिन किसी बहिन के तनावों को कम करने क....<br /><br />@--ठीक उसी दिन किसी बहिन के तनावों को कम करने की विवशता आन पड़ी हो तो क्या भैया-दूज का इंतज़ार करना ठीक था?<br /><br />------<br /><br />खुशनसीब है वो बहन , जिसके आप भाई हैं। आपकी उपरोक्त पंक्तियाँ आपके विशाल ह्रदय की परिचायक हैं। भाई- बहन का ये प्यार सदैव बना रहे , इसे किसी की नज़र न लगे , यही प्रार्थना है।<br /><br />आपकी भाई-बहन वाली रचनायें बहुत भावुक कर देती हैं। श्रद्धा से सर नत मस्तक हो जाता है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-3061228806655764402010-10-27T14:37:07.196+05:302010-10-27T14:37:07.196+05:30bahut rochak.bahut rochak.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-12849296033410046592010-10-27T12:29:55.796+05:302010-10-27T12:29:55.796+05:30गुरू जी,
इतनी बडी उपमा न दो, अहंकार बाहर खडा इसी ...गुरू जी,<br /><br />इतनी बडी उपमा न दो, अहंकार बाहर खडा इसी मौके की तलाश में है।<br /><br />गुणपूजा मंदिर बना रहा हूं, गुणपूजक हूं,अतः आपके साथ हूंसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-36087215370193824492010-10-27T12:20:26.537+05:302010-10-27T12:20:26.537+05:30.
सुज्ञ जी,
आपका ब्लॉग मंदिर है. भाव वहाँ पहुँचक....<br /><br />सुज्ञ जी, <br />आपका ब्लॉग मंदिर है. भाव वहाँ पहुँचकर स्वयं अपने हाथों में पूजा का थाल ले लेते हैं. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-38748113183903436572010-10-27T12:16:41.439+05:302010-10-27T12:16:41.439+05:30.
मित्र दीप,
किसी भाव-विशेष को व्यक्त करने के लिय....<br /><br />मित्र दीप,<br />किसी भाव-विशेष को व्यक्त करने के लिये क्या किसी समय विशेष का बंधन ठीक है? करवा-चौथ का पूर्ण-दिवसीय उपवास किसी पत्नी का अपने पति के लिये प्रतीकात्मक संकल्प है. <br /><br />ठीक उसी दिन किसी बहिन के तनावों को कम करने की विवशता आन पड़ी हो तो क्या भैया-दूज का इंतज़ार करना ठीक था? <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-37099252483954233802010-10-27T12:15:22.702+05:302010-10-27T12:15:22.702+05:30.
इस कविता से पहले कक्षीय-पाठ में बताया गया था कि....<br /><br />इस कविता से पहले कक्षीय-पाठ में बताया गया था कि <br />"आज की राष्ट्र विषयक रति (देशप्रेम) या प्राचीनकाल से चली आ रही प्रकृति विषयक रति को स्थायी भाव नहीं माना जा सकता क्योंकि एक तो रति का यह स्वरूप सार्वजनिक नहीं है और न ही सार्वकालिक एवं सार्वभौमिक." <br />__________________<br />अब इस कविता में प्राकृतिक पात्रों में परस्पर मानवीय संबंधों की जो खोज की है वह कवि की किसी क्षण-विशेष की मनःस्थिति है. उसमें 'रति' स्थायी भाव नहीं माना जा सकता. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-80919497384263533162010-10-26T23:48:12.983+05:302010-10-26T23:48:12.983+05:30अच्छी रचना है.अच्छी रचना है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-29743393778321884122010-10-26T23:33:13.579+05:302010-10-26T23:33:13.579+05:30चंदा के साथ बहिना कि बातें भैया दूज पर होनी चाहिए ...चंदा के साथ बहिना कि बातें भैया दूज पर होनी चाहिए प्रभु आज तो करवा चौथ है आज तो चंदा और सजनी कि बात होनी चाहिए थी. क्या ये miss timing नहीं है.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-17519912318116505242010-10-26T20:29:08.661+05:302010-10-26T20:29:08.661+05:30फ़िर एक बार ग्रह्कार्य अवश्य देखेंफ़िर एक बार ग्रह्कार्य अवश्य देखेंसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-60095785930311307742010-10-26T11:41:18.969+05:302010-10-26T11:41:18.969+05:30"मैं हारूँगी या वो हारें
आज़ शुभ्र लगते हैं ..."मैं हारूँगी या वो हारें <br />आज़ शुभ्र लगते हैं तारे <br />किसकी जीत सुनिश्चित होगी <br />मेरी या भैया चंद प्यारे."<br /><br />सार्थकसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.com