tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post5721756226164648146..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: दुःस्वप्नप्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-86279216761260757182013-02-16T00:29:27.994+05:302013-02-16T00:29:27.994+05:30@ निहार जी, आपने मेरे दुःस्वप्न को निहारा और रंजन ...@ निहार जी, आपने मेरे दुःस्वप्न को निहारा और रंजन कर सराहा .... दूसरी 'दुःस्वप्न निर्माण योजना' के बारे में सोच रहा हूँ।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-10724544696933274942013-02-16T00:29:06.236+05:302013-02-16T00:29:06.236+05:30@ कुलदीप जी, एक साथ दो बातें कहना चाह रहा हूँ .......@ कुलदीप जी, एक साथ दो बातें कहना चाह रहा हूँ .... आभार और क्षमा।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-41543801618201168052013-02-16T00:28:35.447+05:302013-02-16T00:28:35.447+05:30@ रश्मि जी और मधु जी, आपकी ब्लॉग पर प्रशंसक के रूप...@ रश्मि जी और मधु जी, आपकी ब्लॉग पर प्रशंसक के रूप में उपस्थिति आनंद का संचार करती है .... आभारी हूँ।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-88472477395763691862013-02-16T00:27:11.710+05:302013-02-16T00:27:11.710+05:30@ आदरणीय कैलाश जी, जिस रचना को प्रशंसा यदि आपसे प्...@ आदरणीय कैलाश जी, जिस रचना को प्रशंसा यदि आपसे प्राप्त हो तो वह रचना खुद को भी अच्छी लगने लगती है।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-6750172670178606832013-02-16T00:26:45.718+05:302013-02-16T00:26:45.718+05:30@ रमाकांत जी, मुझे लग रहा था शायद इन पंक्तियों में...@ रमाकांत जी, मुझे लग रहा था शायद इन पंक्तियों में छिपे शृंगार को कोई पकड़ न पाए .... पर आप प्रकृति के चितेरे जो ठहरे ... सब समझ गए।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-69664771990762147112013-02-16T00:25:58.335+05:302013-02-16T00:25:58.335+05:30@कुश्वंश जी, धन्यवाद ....... आपने इस बार खिंचाई के...@कुश्वंश जी, धन्यवाद ....... आपने इस बार खिंचाई के बदले बधाई दी। मैं आपके आस्वादन (काव्य-स्वाद) को पहचान गया हूँ। फिर भी आपको यहाँ यदा-कदा भावशून्य और अलंकारविहीन अंगनाओं का दर्शन होगा ... हमेशा तो सरस्वती नहीं बैठी होती मानस हंस पर। और हंस भी जब छुट्टी पर जाता है तो उसके स्थान पर बगुला ड्राइवरी करने आ जाता है।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-58354397371759692962013-02-16T00:25:33.666+05:302013-02-16T00:25:33.666+05:30@ प्रदीप साहनी जी, पिछले दिनों विश्व पुस्तक मेले म...@ प्रदीप साहनी जी, पिछले दिनों विश्व पुस्तक मेले में व्यस्त रहा। आपके लगाए 'चर्चा मंच' पर न आ सका। क्षमा चाहूँगा। आभारी हूँ मेरे दुःस्वप्न को उत्कृष्ट कहकर मंच पर बैठाने के लिए। प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-76764122536911634352013-02-01T08:50:49.639+05:302013-02-01T08:50:49.639+05:30बहुत खूबसूरती से लिखा है. बहुत पसंद आई आपकी कविता....बहुत खूबसूरती से लिखा है. बहुत पसंद आई आपकी कविता.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-69538019053213641702013-01-31T11:44:36.001+05:302013-01-31T11:44:36.001+05:30आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 1 फरवरी की नई ...आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 1 फरवरी की नई पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...<br /> आप भी इस हलचल में आकर इस की शोभा पढ़ाएं।<br />भूलना मत <br /><br /> htp://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com<br /> इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है।<br /><br />सूचनार्थ।kuldeep thakurhttps://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-73590875163338937512013-01-30T21:23:48.865+05:302013-01-30T21:23:48.865+05:30 बेहतरीन कविता ,सुन्दर भावाभिव्यक्ति***** निशा आधी... बेहतरीन कविता ,सुन्दर भावाभिव्यक्ति***** निशा आधी नग्न होकर<br />मेरी शैया के किनारे<br />आई सुधा-मग्न होकर<br />लिए नयनों में नज़ारे।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-3273285228001619712013-01-30T16:14:11.279+05:302013-01-30T16:14:11.279+05:30मैं विमर्ष से निशीथ में
निस्पंद, नीरव नेह को
किस त...मैं विमर्ष से निशीथ में<br />निस्पंद, नीरव नेह को<br />किस तरह कर दूँ निराहत?<br />विदग्ध तृषित देह को...बहुत बढ़िया्..अच्छा लगा यहां आनारश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-37298585109823996162013-01-30T15:07:30.876+05:302013-01-30T15:07:30.876+05:30श्वास में मिलती मलय-सी
अनिल, तन से फूटती है
कर रही...श्वास में मिलती मलय-सी<br />अनिल, तन से फूटती है<br />कर रही मदमत्त मुझको<br />प्यार पाकर झूमती है।<br /><br />....बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-68126713493746634952013-01-29T20:47:06.037+05:302013-01-29T20:47:06.037+05:30श्याम अंबर चीर देखा
दीपिका ने क्रोध से तब
निशा भाग...श्याम अंबर चीर देखा<br />दीपिका ने क्रोध से तब<br />निशा भागी, निमिष मुकुलित<br />किये मैंने, लाल था नभ।<br /><br />प्रकृति का अनुपम श्रृंगारिक वर्णन Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-46285365006417117472013-01-29T16:14:47.371+05:302013-01-29T16:14:47.371+05:30फिर एकबार शब्दों के मायाजाल में एक बेहतरीन कविता ....फिर एकबार शब्दों के मायाजाल में एक बेहतरीन कविता ...वास्तविक कविता .. बधाई Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.com