tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post470699175649087737..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: तुम पुष्प भाँति मुस्कान लियेप्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-27393856934135186682012-08-04T19:01:31.514+05:302012-08-04T19:01:31.514+05:30@ सदा जी,
आपका आगमन ये संकेत करता है कि ... यदि ...@ सदा जी, <br /><br />आपका आगमन ये संकेत करता है कि ... यदि संवाद में सरसता है तो वह कविता मानी जा सकती है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-62274829972799022682012-08-04T19:01:20.992+05:302012-08-04T19:01:20.992+05:30@ डॉ. मोनिका जी,
आपकी सहज उपस्थिति से मन निर्भय ...@ डॉ. मोनिका जी, <br /><br />आपकी सहज उपस्थिति से मन निर्भय हो जाता है... और शृंग की समस्त चोटियों से पावन धार स्फुटित होने लगती है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-47783914382904215872012-08-04T19:01:05.450+05:302012-08-04T19:01:05.450+05:30मित्र रविकर जी,
ये तो मानता हूँ कि मैंने संकेताक्...मित्र रविकर जी,<br /><br />ये तो मानता हूँ कि मैंने संकेताक्षर नहीं दिया..<br /><br />उपर्युक्त भाव 'उद्गीत की कवयित्री 'आलोकिता' जी की कविता पर व्यक्त हुए थे...<br /><br />लिंक है : http://alokitajigisha.blogspot.in/2011/02/blog-post_27.html<br /><br />मुझे उनकी कविता में कोमलतम भावों की सुखद अनुभूति होती है.... उनकी कविता है : <br /><br /><br />पलक पावढ़े ...बिछा दूंगी <br /><br />तुम आने का.. वादा तो दो <br /><br />धरा सा धीर... मैं धारुंगी <br /><br />गगन बनोगे... कह तो दो <br /><br />पपीहे सी प्यासी. रह लूँगी <br /><br /><br />बूंद बन बरसोगे कह तो दो <br /><br />रात रानी सी ..महक लूँगी <br /><br />चाँदनी लाओगे कह तो दो <br /><br /><br />धरा सा धीर... मैं धारुंगी<br /> <br />गगन होने का वादा तो दो <br /><br /><br />जीवन कागज सा कर लूँगी <br /><br />हर्फ बन लिखोगे.कह तो दो <br /><br />बूंद बन कर... बरस जाउंगी <br /><br />सीप सा धारोगे.. कह तो दो <br /><br /><br />हर मुश्किल से ...लड़ लूँगी <br /><br />हिम्मत बनोगे.. कह तो दो <br /><br />पलक पावढ़े..... बिछा दूंगी <br /><br />तुम आने का... वादा तो दो <br /><br /><br />चिड़ियों सी मैं... चहकुंगी <br /><br />भोर से खिलोगे. कह तो दो <br /><br />गहन निद्रा में ..सो जाउंगी <br /><br />स्वप्न बनोगे... कह तो दो <br /><br />फूलों सी काँटों में हँस लूँगी <br /><br />ओस बनोगे .....कह तो दो <br /><br />धरा सा धीर ....मैं धारुंगी <br />गगन बनोगे.... कह तो दोप्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-30428683412048338272012-07-28T15:40:14.994+05:302012-07-28T15:40:14.994+05:30प्रतुल जी , आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए पह...प्रतुल जी , आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए पहले तो क्षमा चाहता हूँ. कुछ ऐसी व्यस्तताएं रहीं के मुझे ब्लॉग जगत से दूर रहना पड़ा...अब इस हर्जाने की भरपाई आपकी सभी पुरानी रचनाएँ पढ़ कर करूँगा....कमेन्ट भले सब पर न कर पाऊं लेकिन पढूंगा जरूर<br /><br />जीवन-कागज़ कोरा कर लो <br />तो उसको जबरन नहीं भरो. <br />यदि ज्ञान-बूँद की भाँति बनो <br />तो एकाधिक मन शुक्ति करो. <br />लाजवाब रचना...बधाई <br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-30050189659913244502012-07-28T12:13:01.927+05:302012-07-28T12:13:01.927+05:30बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-88401813645061132452012-07-27T22:54:26.936+05:302012-07-27T22:54:26.936+05:30बहुत सुंदरबहुत सुंदर डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-56789875068884290112012-07-27T17:45:00.867+05:302012-07-27T17:45:00.867+05:30कुछ भावार्थ या संकेताक्षर के होने से
समझने में आस...कुछ भावार्थ या संकेताक्षर के होने से <br />समझने में आसानी होती है-<br />सादर -<br /><br />धीर धरा सा धारो |<br />मन-व्यग्र सँभालो यारो |<br />इक रेखा ऐसी पारो-<br />जिससे हृदय न हारो ||<br /><br /> निद्रा गहन उबारो |<br />सपने सरल सँवारो |<br />मद का बोझ उतारो |<br />तो नैना मिलते चारो ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com