tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post3319988595907382018..comments2023-11-03T19:09:37.429+05:30Comments on ॥ दर्शन-प्राशन ॥: उत्पादक रसों में मिलने वाले चार उत्पत्ति-हेतुत्वप्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-40848737936881194842010-10-11T19:43:58.096+05:302010-10-11T19:43:58.096+05:30.
दिव्या जी
जीवन पर्यंत सीखना एक अच्छा गुण है.....<br /><br /><br />दिव्या जी <br /><br />जीवन पर्यंत सीखना एक अच्छा गुण है. सीखने के लिये हमेशा अपने जिज्ञासा के कपाट पूरे खोलकर ही रखने चाहिए. यह एक अच्छे विद्यार्थी के लक्षण हैं. मुझे लगता है कि आपने ही पाठ को विधिवत अब तक पढ़ा है. और सुज्ञ जी भी इसका अनुशीलन कर रहे हैं. हाँ कुछ विद्यार्थी वातायन के माध्यम से भी पाठ को पढ़ तो लेते हैं लेकिन उसका सही आकलन नहीं कर पा रहे हैं. <br /><br />फिर भी मुझे तो रस छंद अलंकार को लेकर कक्षाएँ तो लगाते ही रहना है. आपके प्रश्नों से समझूँगा कि पाठ पढ़ा जा रहा है. रुचि बरकरार है. इस बार विषय कुछ जटिल हो गया शायद जो विद्यार्थी घट गये. आप भी शांत भाव से बिन प्रश्नों के औपचारिकता निभा रहे हैं. <br /><br />______________________________<br /><br />ऐसे में मुझे प्रपंच सूझता है भावों को आंदोलित कर देने का. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-19463393442616465782010-10-11T11:27:08.457+05:302010-10-11T11:27:08.457+05:30आभार, रसगुरू!!
यहां तो समर्पण-रस पैदा हो गया।:)आभार, रसगुरू!!<br /><br />यहां तो समर्पण-रस पैदा हो गया।:)सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-19084306729032407022010-10-11T10:35:38.189+05:302010-10-11T10:35:38.189+05:30.
शेखर सुमन जी, केवल आपके लिये
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सुमन तु....<br /><br />शेखर सुमन जी, केवल आपके लिये <br />_________<br />सुमन तुम कली बने रह जाओ. <br />माफ़ करो तुम मुझको पढ़ना, सरल राह अपनाओ. <br />अच्छा ही होगा कहकर क्यों शब्द व्यर्थ गँवाओ. <br />वास्तविक बात आमंत्रण की है, बातें गोल घुमाओ.<br />अवश्य आयेंगे सुमन बगीचे सुगंध और बढाओ. <br />सुमन, नहीं है बस में अपने विकसन का ठहराव. <br />अभिधा से लक्षणा पकड़ कर अब व्यंजना पर आओ. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-36901009083906007972010-10-10T07:04:58.590+05:302010-10-10T07:04:58.590+05:30.
सुन्दर प्रस्तुति !--बहुत कुछ नया सीख रही हूँ।
....<br /><br />सुन्दर प्रस्तुति !--बहुत कुछ नया सीख रही हूँ। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7213487349598555645.post-7443383382869137102010-10-10T00:10:27.596+05:302010-10-10T00:10:27.596+05:30maaf kijiyega..apne palle to kuch nahi pada.. chal...maaf kijiyega..apne palle to kuch nahi pada.. chaliye koi baat nahi achha hi hoga...mujhe in sab cheejon ka utn agyan nahi hai...<br />khair mere blog par is baar..<br />sunhari yaadein jaroor aayein...Anonymousnoreply@blogger.com